पटना ब्यूरो -7 सितम्बर 2024/सुप्रीम कोर्ट ने बिहार में बढ़ाये गये 65 प्रतिशत आरक्षण पर रोक मामले में केंद्र व नीतीश सरकार को नोटिस थमा दिया. अदालत का यह नोटिस एक तरह से इस बात पर मुहर लगाने के समान है कि बढ़े आरक्षण के मुद्दे पर राज्य और केंद्र की भूमिका संदिग्ध है.इस तरह अब यह तय सा हो गया है कि बिहार में 65 प्रतिशत बढ़ाये गये आरक्षण पर रोक के मामले में जो लकीर है उसके एक तरफ राजद है तो दूसरी तरफ भाजपा और जदयू.जब तक नीतीशजी राजद के साथ थे, तब तक वह आरक्षण के पक्ष में जरूर थे क्योंकि उन पर राजद का दमदार प्रेशर था. लेकिन भाजपा की गोद में बैठते ही नीतीशजी मोदी-शाह को खुश करने के लिए जीहुजूरी करने की भूमिका में आ चुके हैं.पटना हाईकोर्ट में जब बढ़े हुए आरक्षण पर रोक लगाने की याचिका पर बहस हुई तो निश्चित तौर पर राज्य सरकार ने भाजपा को खुश करने के लिए अपना पक्ष मजबूती से नहीं रखा. नतीजा यह हुआ कि पटना हाईकोर्ट ने आरक्षण संशोधन कानून पर रोक लगाने का फैसला सुना दिया.अब बिहार और देश के नागरिक आश्वस्त हो चुके हैं कि दलितों, पिछड़ों व आदिवासियों के हक की लड़ाई लड़ने वाला अगर कोई योद्धा है तो वह तेजस्वी यादव हैं, कोई और नहीं.राष्ट्रीय जनता दल कि यह घोषणा कि वह आरक्षण के मुद्दे को सडक, सदन और अदालत तीनों मैदानों में लड़ेगा और जीतेगा.मतलब स्प्ष्ट है कि आरक्षण पर दोमुंही राजनीति करने वाली भाजपा और भाजपा की जीहुजूरी करने वाला जदयू जनता की नजरों में बेनकाब हो चुके हैं.