पटना, १३ सितम्बर। कथा-लेखन से विद्यार्थियों में कल्पना-शक्ति और सृजन-शीलता का विकास होता है। रचनात्मक-प्रतिभा के विकास में इसका अत्यंत महत्त्वपूर्ण योगदान है। प्रत्येक विद्यार्थी को कथा-लेखन में रूचि रखनी चाहिए। इससे आंतरिक-प्रतिभा निखरती है। भाषा शुद्ध होती है और वाणी में शालीनता आती है। बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन में विगत १ सितम्बर से आयोजित हिन्दी पखवारा एवं पुस्तक चौदस मेला के १३वें दिन शुक्रवार को विद्यार्थियों के लिए आयोजित ‘कथा-लेखन-प्रतियोगिता’ में विद्यार्थियों का स्वागत करती हुईं सम्मेलन की उपाध्यक्ष डा मधु वर्मा ने ये बातें कहीं। प्रतियोगिता में, डॉन बास्को ऐकेडमी,दीघा, रवीन्द्र बालिका विद्यालय, राजेंद्र नगर, बाल्डविन ऐकेडमी, पटना, ‘किलकारी बाल भवन’ विद्यालय, सैदपुर, उत्क्रमित उच्च विद्यालय, बेलौरी, सीवान के विद्यार्थियों राज आर्यन, आरती वर्मा, आयुषी कुमारी, गणपत हिमांशु, प्रियांशु कुमार आदि ने भाग लिया। इस अवसर पर प्रतियोगिता के निर्णायक-मंडल के सदस्य और भारतीय प्रशासनिक सेवा से अवकाश प्राप्त अधिकारी एवं वरिष्ठ साहित्यकार बच्चा ठाकुर, डा मधु वर्मा, आयोजन समिति के सदस्यगण ई अशोक कुमार, कृष्ण रंजन सिंह, वरिष्ठ लेखिका डा सीमा रानी, लेखक अरुण कुमार श्रीवास्तव, डा टी एन वर्मा, संतोष कुमार आदि शिक्षक गण उपस्थित थे। पखवारा के १४वें दिन १४ सितम्बर को ‘हिन्दी-दिवस समारोह’ आयोजित होगा, जिसमें १४ हिन्दी-सेवियों को सम्मनित किया जाएगा और कवयित्री सुजाता मिश्र की दो पुस्तकों ‘काव्य भारती एवं ‘सती-विन्यास’ का लोकार्पण संपन्न होगा।