पटना, २६ अक्टूबर। कविता-कहानियाँ पाठकों का केवल मनोरंजन ही नहीं करती, समाज को शक्ति और प्रेरणा भी देती है। समाज के निर्माण में साहित्य की सबसे प्रमुख भूमिका है। इसीलिए समाज का सबसे प्रतिष्ठित व्यक्ति कवि-साहित्यकार ही है, जो समाज को दिशा देता है।
यह बातें शनिवार को बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन में आयोजित पुस्तक-लोकार्पण समारोह का उद्घाटन करते हुए, त्रिपुरा के पूर्व राज्यपाल गंगा प्रसाद ने कही। उन्होंने सुचर्चित कवि कमल किशोर वर्मा ‘कमल’ की तीन पुस्तकों, ‘यात्रा-साहित्य का सफ़रनामा’, ‘सदन से दूरदर्शन तक’ तथा ‘राह अभी बाक़ी है’ का लोकार्पण भी किया तथा लेखक को शुभकामनाएँ दी।
उत्तरप्रदेश सरकार में शिक्षा मंत्री रहे हिन्दी की प्रतिष्ठित संस्था ‘हिन्दी साहित्य भारती’ के अध्यक्ष डा रवींद्र शुक्ल ने मुख्य-अतिथि के रूप में अपना उद्गार व्यक्त करते हुए कहा कि ‘साहित्य’ समाज का दर्पण नहीं होता, जैसा कि लोग अक्सर कहा करते हैं। दर्पण तो व्यक्ति की विपरीत छवि दिखाती है। साहित्य तो सृजन का नाम है, जो लोक-मंगलकारी होता है।
समारोह की अध्यक्षता करते हुए सम्मेलन अध्यक्ष डा अनिल सुलभ ने कहा कि लोकार्पित पुस्तकों के लेखक श्री कमल ने, जो एक प्रतिभा-संपन्न कवि भी हैं, इन पुस्तकों में अपनी जीवनानुभूति को बहुत ही प्रांजल रूप से अभिव्यक्ति दी है। पुस्तक ‘राह अभी बाक़ी है’ कमल जी की कविताओं का संग्रह है और अन्य दोनों पुस्तकें यात्रा-वृतांत हैं। गद्य और पद्य में समान रूप से इनका सामर्थ्य बढ़ा है और संप्रेषण-क्षमता भी बढ़ी है। कहा जा सकता है कि तीनों पुस्तकें हिन्दी साहित्य को समृद्ध करने में अपना महत्त्वपूर्ण योगदान देने वाली सिद्ध होंगी।
कृतज्ञता ज्ञापित करते हुए पुस्तकों के लेखक श्री कमल ने कहा कि तीनों पुस्तकों की अधिकांश रचनाएँ ‘कोरोना-काल’ में सिद्ध हुई। यात्रा साहित्य का सफ़रनामा, भारत में यात्रा-साहित्य के उद्भव को सार्वजनीन कारने की प्रेरणा से लिखी गयी है। उन्होंने अपने काव्य-संग्रह से प्रतिनिधि रचनाओं का पाठ भी किया। कार्यक्रम का आरंभ कवि की विदुषी पत्नी डा संगीता वर्मा द्वारा सरस्वती की वंदना से हुआ। सम्मेलन के उपाध्यक्ष डा शंकर प्रसाद, जयंत किशोर वर्मा और डा पुष्पा जमुआर, बाँके बिहारी साव तथा राजेश रौशन ने भी अपने विचार व्यक्त किए।
इस अवसर पर आयोजित कवि-सम्मेलन का आरंभ चंदा मिश्र ने वाणी-वंदना से किया। वरिष्ठ कवि मधुरेश नारायण, आचार्य विजय गुंजन, डा एम के मधु, प्रो सुनील कुमार उपाध्याय, सिद्धेश्वर, डा पुष्पा जमुआर, जयप्रकाश पुजारी, ई अशोक कुमार, अनुपमा सिंह, मो नसीम अख़्तर,डा अर्चना त्रिपाठी, सीमा रानी, सुनील कुमार, सूर्य प्रकाश उपाध्याय, नरेंद्र कुमार, संध्या साक्षी, सुनीता रंजन, पूनम कतरियार, मनोज कुमार उपाध्याय, नीता सहाय, अरुण कुमार श्रीवास्तव, अर्जुन प्रसाद सिंह, अजीत कुमार भारती आदि कवियों और कवयित्रियों ने अपनी सुमधुर रचनाओं के पाठ के साथ लेखक को शुभकामनाएँ दीं। मंच का संचालन ब्रह्मानन्द पाण्डेय ने तथा धन्यवाद-ज्ञापन सम्मेलन के अर्थ मंत्री प्रो सुशील कुमार झा ने किया।
दूरदर्शन के पूर्व कार्यक्रम प्रमुख और साहित्यकार डा ओम् प्रकाश जमुआर, कमल नयन श्रीवास्तव, डा मनोज गोवर्धनपुरी, निर्मला सिंह, मीरा प्रकाश, संदीप कुमार, सत्य प्रकाश दलाल, अंजनी कुमार सिन्हा, प्रवीर पंकज, मदन मोहन ठाकुर आदि बड़ी संख्या में साहित्य-सेवी, हिन्दी-प्रेमी और प्रबुद्धजन उपस्थित थे।