पटना, २५ जनवरी। स्त्रियों पर होते आ रहे अत्याचार के हर प्रसंग पर स्त्रियों को ही दोषी ठहराने की विद्रुप मानसिकता पर कड़े सवाल करते नाटक ‘साग मीट’ की बेहतरीन प्रस्तुति शनिवार को बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन के मंच पर की गयी। सुप्रसिद्ध नाटककार भीष्म साहनी द्वार लिखित यह नाटक ‘चाइल्ड केयर सेंटर’ के तत्त्वावधान में डा इन्दु पाण्डेय के निर्देशन में मंचित हुआ, जिसमें वरिष्ठ रंग-नायिका निर्मला सिंह ने अपने भावपूर्ण एकल अभिनय से दर्शकों का दिल जीत लिया।
नाटक के ज़रिए यह बताया गया है कि स्त्रियों पर हो रहे अत्याचार और उनके यौन-शोषण के लिए,
अंततः उन्हें ही दोषी करार दिया जाना उचित नहीं है। लेखक ने कहना चाहा है कि इस तरह के प्रसंगों में गलती चाहे किसी की हो, औरत को ही ग़लत ठहराया जाता है। ज़रूर इसी ने कुछ ग़लत किया होगा, नहीं तो—- !इस विशेष प्रस्तुति की विशेषता यह रही कि महिला केंद्रित इस नाटक का मंचन एक महिला के निर्देशन में एक महिला का एकल अभिनय हुआ। मंच सज्जा गुंजा सिंह की और रूप-सज्जा रणजीत कुमार की थी। छायांकन हिमांशु कुमार का था।प्रथम-दर्शक के रूप में साहित्य सम्मेलन के अध्यक्ष डा अनिल सुलभ ने दीप-प्रज्वलित कर प्रस्तुति का उद्घाटन किया। अपने उद्गार में उन्होंने कहा कि आधुनिक समाज में स्त्रियाँ बहुत जागरूक हुई हैं और पुरुषों के दृष्टिकोण में भी व्यापक परिवर्तन हुआ है, किन्तु सामान्य स्त्रियों की दशा अब भी चिंता-जनक है। जिस दिन यह सुनिश्चित हो जाएगा कि दुनिया की किसी भी महिला को, कोई भी पुरुष, विना उसकी इच्छा और अनुमति के स्पर्श तक न कर सके, वह समय महिलाओं के सम्मान का आदर्श समय होगा। सम्मेलन के पुस्तकालय मंत्री और कवि ईं अशोक कुमार, प्रबंध मंत्री कृष्ण रंजन सिंह, आचार्य विजय गुंजन, रंगकर्मी आलोक गुप्ता, अनंदिता बनर्जी, आदित्य कुमार, पवन साव, रज़ी अहमद, शामित सिरखेल, नन्दन कुमार मीत आदि प्रबुद्ध-दर्शक उपस्थित थे।