निर्देशक : जन्म 1981, मधुबनी (विहार)। भारतीय जन नाट्य संघ (इप्टा) मधुबनी से रंगकर्म की शुरूआत। केन्द्रीय संगीत नाटक अकादमी के युवा रंगकर्मी नाट्य कार्यशाला-2001 (पटना) और संस्कृति मंत्रालय द्वारा राष्ट्रीय छात्रवृति योजना 2006 के तहत रंगमंच में प्रशिक्षित। नाटक-रंगमंच तथा फिल्म टेलीविजन के विभिन्न आयामों-अभिनय, निर्देशन, बाल रंगमंच, शिक्षण-प्रशिक्षण, पठन पाठन और शोध अनुसंधान में संलग्न। प्रमुख निर्देशित नाटकः ‘मलाह टोली एक चित्र, भूख आग है, बिजुलिया भौजी, शिवाले का प्रेत. निरमोही बालम, शवयात्रा के बाद देह शुद्धि बलधनमा, ‘केंचुली, मन वृन्दावन आदि। बच्चों के साथ संबंदिया, अंधेर नगरी, ‘हम बच्चे हैं चांद से, सदाचार का ताबीज’, ‘रसप्रिया’, ‘आजाद बकरियों, रंग अबीर, काबुलीवाला आदि नाटकों का निर्देशन। फिल्मों और धारावाहिकों में कार्य/अभिनय : पाहुन, जंगला मंगला’, ‘डमरु उस्ताद, ‘सौतिन, घोध में बान’, ‘छूटत नहि प्रेमक रंग, अनार कली ऑफ आरा आदि रंगमंच में विशिष्ट योगदान के लिए सम्मान ‘युवा नाट्य निर्देशक सम्मान’ (साहित्य कला परिषद्, दिल्ली सरकार), भिखारी ठाकुर रंग सम्मान’ (सी.आर.डी., पटना) और श्रीकान्त मंडल रंग सम्मान’ (मैलोरंग, दिल्ली)।
कथासार
विजयदान देथा की कहानियाँ लोक की कोख से उपजी कथा को आधुनिक और वैश्विक परिदृश्य पर ले जाती है। वे अपनी कहानियों में आम जन की समस्याओं, उनकी दमित इच्छाओं, मानवता की विकृति व क्षरित होती संवेदना को उजागर करने और समाज की विडम्बनापूर्ण कुरूतियों को लौकिक रूप से चित्रित करते हैं। वे लोक मान्यताओं में रची बसी कथाओं, मुहावरों, लोकोक्तियों का प्रयोग कर, मानव से इतर अन्ना जीव-जन्तुओं को एक मानवीय स्वरूप प्रदान कर सुन्दर रचना प्रस्तुत करते हैं। उनकी कथा जितनी लौकिक और पारम्परिक है उससे कहीं ज्यादा आधुनिक है। वे अपनी रचनाओं में अभूतपूर्व प्रयोग करते है जिससे लोक संस्कृतियों को एक विस्तार मिलता है और यह वैचारिक धरातल की जमीन भी तैयार करता है। उनकी ही एक कहानी पर आधारित यह नाटक केंचुली स्त्री-मन की कई उधेड़बुन वाली परतों की पड़ताल और खुद की लड़ाई का आत्मबोध कराती है। लाछी की सुन्दरता पर मोहित गाँव के जमीन्दार ठाकुर और उसके चमचे बुझा की अतिवादिता और पति गूजर की अवहेलना से उपजी व्यग्रता को इस कहानी में दर्शाया गया है। नाटक में सामाजिक बेड़ियों को तोड़कर, केंचुली से निकली साँप की तरह आजाद होती स्त्री की दास्तान है जो अपने स्वत्व की तलाश करती है।
मंच पर लाछी :परिभाषा मिश्रा, भोजा : नीलेश दीपक, गूजर : गौरव सिंह
ठाकुर : राजीव रंजन,
सूत्रधार – 1: पूजा, सूत्रधार 2 चिराग, पानिहिन : सान्या,
कोरस 1 विक्रम, कोरस-2 अभिषेक,
संगीत/गायन/तबला : लखन लाल अहिरवाल,
हारमोनियम : सतीश कुमार / देवव्रत, मायन राजीव रंजन / सतीश / विनय
नेपथ्य मेकअप : जितेंद्र जितु
वेशभूषा : डालचन्द, प्रोप्स रितु झा, ब्रोशर दिलीप गुप्ता,
मंच परिकल्पना : मुनेश्वर भास्कर,
प्रकाश परिकल्पना : राहूल रवि, स्टेज मैनेजर : गौरव सहायक अभिषेक, रितु, धीरज, राधय, रत्नेश, अभिषेक, धर्मवीर