05.02.2025/Kaushlendra Pandey /व्याख्यान-सह-कार्यशाला की शुरुआत दीप प्रज्ज्वलन के साथ हुई। व्याख्यान-सह-कार्यशाला की आयोजन सचिव प्रो. (डॉ.) अमीता जयसवाल, विभागाध्यक्ष, दर्शनशास्त्र विभाग, पटना वीमेंस कॉलेज (ऑटोनोमस), पटना विश्वविद्यालय, ने स्वागत भाषण दिया। उन्होंने संसाधन व्यक्तियों और प्रतिभागियों का स्वागत किया। उन्होंने हमारे जीवन में सांस्कृतिक मूल्यों के महत्व पर जोर दिया।व्याख्यान-सह-कार्यशाला की अध्यक्ष डॉ. सिस्टर एम. रश्मी ए.सी., प्राचार्या, पटना वीमेंस कॉलेज (ऑटोनोमस), पटना विश्वविद्यालय, ने सभा को संबोधित किया। उन्होंने वर्तमान परिप्रेक्ष्य में नवजागरण की आवश्यकता पर विस्तार से प्रकाश डाला।
पहला व्याख्यान डॉ. आभा सिंह, प्रोफेसर एवं विभागाध्यक्ष (सेवानिवृत्त), पी.जी. दर्शनशास्त्र विभाग, पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय का था। उन्होंने व्याख्यान-सह-कार्यशाला के विषय अर्थात “भारत में पुनर्जागरण और भारतीय सांस्कृतिक मूल्यों की भूमिका” पर ध्यान केंद्रित किया। दूसरा व्याख्यान प्रो. (डॉ.) राजेश कुमार सिंह, डीन मानविकी एवं विभागाध्यक्ष, पी.जी. दर्शनशास्त्र विभाग, पटना विश्वविद्यालय का था। उन्होंने “समकालीन भारतीय समाज के लिए भगवान राम के लोकाचार” विषय पर विस्तार से बताया।दोनों सत्र बहुत संवादात्मक थे। विभाग द्वारा व्याख्यान-सह-कार्यशाला विषय पर एक निबंध प्रतियोगिता भी आयोजित की गई थी। इसमें बिहार के विभिन्न कॉलेजों और विश्वविद्यालयों के स्नातक और स्नातकोत्तर स्तर के छात्र-छात्राओं ने भाग लिया।डॉ. कीर्ति चौधरी, संकाय, दर्शनशास्त्र विभाग, पटना वीमेंस कॉलेज (ऑटोनोमस), पटना विश्वविद्यालय, ने कार्यक्रम का संचालन किया और व्याख्यान-सह-कार्यशाला के पहले दिन के लिए धन्यवाद ज्ञापन किया।
दिन 2 (06.02.2025):
व्याख्यान-सह-कार्यशाला के दूसरे दिन की शुरुआत प्रोफेसर (डॉ.) अमीता जयसवाल, विभागाध्यक्ष, दर्शनशास्त्र विभाग, पटना वीमेंस कॉलेज (ऑटोनोमस), पटना विश्वविद्यालय के स्वागत भाषण से हुई।
पहला व्याख्यान डॉ. श्यामल किशोर, परीक्षा नियंत्रक, पटना विश्वविद्यालय एवं पूर्व विभागाध्यक्ष, पी.जी. दर्शनशास्त्र विभाग, पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय का था। उन्होंने “भारतीय समाज में अंतर्निहित नैतिक मूल्यों का क्षरण: एक गांधीवादी रामबाण” विषय पर विस्तार से बताया।दूसरा व्याख्यान रामकृष्ण मिशन, मुजफ्फरपुर, बिहार के सचिव स्वामी भावात्मानंद का था। उन्होंने “राष्ट्र निर्माण के लिए स्वामी विवेकानन्द” विषय पर विस्तार से प्रकाश डाला।
दोनों सत्र अत्यधिक संवादात्मक थे। व्याख्यान-सह-कार्यशाला के विषय पर विभाग द्वारा एक क्विज़ प्रतियोगिता भी आयोजित की गई थी। इसमें बिहार के विभिन्न कॉलेजों और विश्वविद्यालयों के स्नातक और स्नातकोत्तर स्तर के छात्र-छात्राओं ने भाग लिया।
प्रतिक्रिया इनके द्वारा दी गई-
डॉ. कमलेंद्र समापन सत्र में पुरस्कार वितरण किया गया।
पुरस्कार विजेता (निबंध प्रतियोगिता): प्रथम पुरस्कार – अवधेश कुमार, पटना कॉलेज
द्वितीय पुरस्कार – श्वेता रानी, पटना वीमेंस कॉलेज
तृतीय पुरस्कार – पलक कुमारी, पटना वीमेंस कॉलेज
(क्विज़ प्रतियोगिता): प्रथम पुरस्कार – सुहानी कुमारी (पटना महिला कॉलेज), निकिता आर्य (मगध महिला कॉलेज), उत्सव रॉय (पटना महिला कॉलेज)
द्वितीय पुरस्कार – सोनम कुमारी (पटना वीमेंस कॉलेज), सोनल कुमारी, (पटना वीमेंस कॉलेज), खुशी कुमारी (मगध महिला कॉलेज)
तृतीय पुरस्कार – प्रज्ञा (पटना वीमेंस कॉलेज), खुशबू कुमारी (अरविंद महिला कॉलेज), साक्षी सिन्हा (पटना वीमेंस कॉलेज) कुमार, संकाय, दर्शनशास्त्र विभाग, पटना वीमेंस कॉलेज (ऑटोनोमस), पटना विश्वविद्यालय ने व्याख्यान-सह-कार्यशाला के दूसरे दिन का संचालन किया और सुश्री ऋचा प्रिया, संकाय, दर्शनशास्त्र विभाग, पटना वीमेंस कॉलेज (ऑटोनोमस), पटना विश्वविद्यालय सह शोध छात्रा, पी.जी. दर्शनशास्त्र विभाग, पटना विश्वविद्यालय ने धन्यवाद ज्ञापन किया।
दो दिवसीय व्याख्यान-सह-कार्यशाला बड़ी सफल रही। इसमें बिहार के विभिन्न विश्वविद्यालयों से कई शिक्षक और छात्र-छात्राऐं शामिल हुए।