Kaushlendra Pandey/शिक्षा विभाग द्वारा बिहार लोक सेवा आयोग को प्राथमिक विद्यालयों में प्रधान शिक्षक के पद पर नियुक्ति हेतु जिलावार आरक्षण रोस्टर के अनुरुप कुल 37943 पदो की अधियाचना भेजी गयी। बिहार लोक सेवा आयोग द्वारा आरक्षण रोस्टर के अनुसार समेकित रुप से 36947 सफल अभ्यर्थियों की अनुशंसा विभाग को उपलब्ध करायी गयी। विभाग द्वारा उक्त सफल अभ्यर्थियों को सुविधा प्रदान करने हेतु जिला आवंटन के पूर्व 3-3 जिला का विकल्प की मांग की गयी, ताकि अधिक से अधिक सफल अभ्यर्थियों की उनके सुविधानुसार जिला आवंटन का लाभ मिल सके।
2 बिहार लोक सेवा आयोग से प्राप्त अनुशंसा के आलोक में कुल 35386 स्थानीय निकाय शिक्षकों द्वारा ऑनलाईन तीन-तीन जिला का विकल्प दिया गया, जिसमें से कुल 35333 शिक्षकों के ही सभी कागजात / दस्तावेज काउन्सिलिंग के दौरान सही पाये गये है। काउन्सिलिंग में सफल 36333 अभ्यर्थियों से प्राप्त विकल्प एवं जिलावार उपलब्ध रिक्तियों के आलोक में सॉफ्टवेयर के माध्यम से कुल 32688 अभ्यर्थियों को उनके विकल्प (प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय) के अनुरुप आवंटित जिला की अनुशंसा की गयी, जिसे आदेश ज्ञापांक-973 दिनांक-03.04.2025 द्वारा प्रकाशित किया गया है।
3 इसके तहत विभाग द्वारा निर्धारित मापदण्ड के अनुरुप कुल 35333 अभ्यर्थियों में से कुल 32688 को उनके द्वारा दिये गये विकल्प के अनुसार जिला का आवंटन किया गया है, जो लगभग 93 प्रतिशत है। इस प्रकार लगभग 93 प्रतिशत सफल अभ्यर्थियों को उनके द्वारा समर्पित विकल्प (प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय) के अनुरुप जिला का आवंटन किया गया है।
4 कुछ अभ्यर्थियों द्वारा यह जिज्ञासा व्यक्त की जा रही है कि मेधा क्रम में उपर रहने के बावजूद उन्हें विकल्प का लाभ नहीं मिला, जबकि मेधा क्रम के नीचे वाले को विकल्प के अनुरुप जिला आवंटित किया गया है। इसकी गहन समीक्षा विभागीय स्तर पर की गयी एवं पाया गया कि
(0) यह जिला स्तरीय संवर्ग है, इसलिए जिला में कोटिवार स्वीकृत पद के अनुरुप ही पदस्थापन की कार्रवाई की जानी है।
(ii) बिहार लोक सेवा आयोग द्वारा जिस सफल अभ्यर्थी की अनुशंसा जिस कोटि में की गयी है, उस कोटि के वरीयता (मेधा क्रम) के अनुरुप उनके विकल्प को दृष्टिपथ में रखते हुए जिला आवंटन की कार्रवाई की गयी है।
(iii) वस्तुस्थिति यह है कि विभाग द्वारा सामान्य कोटि में अनुशसित अभ्यर्थियो को उनके मेधा क्रम में, आर्थिक रुप से पिछडे अभ्यर्थियों को उनके मेधा क्रम, पिछडा वर्ग के उनके मेधा क्रम में अति पिछड़ा वर्ग को उनके मेधा क्रम में, अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति को उनके मेधा क्रम के अनुरुप विकल्प के आधार जिला आवंटन की कार्रवाई की गयी है।
इस प्रकार समेकित रुप से देखने पर यह स्पष्ट होगा कि किसी सामान्य कोटि के वरीय मेधा क्रम वाले को छोड़कर सामान्य कोटि वाले कम मेधा क्रम (दिव्यांग)
छोड़कर) के अभ्यर्थी को विकल्प का लाभ नही दिया गया है। अन्य सभी कोटियों में भी इसी क्रम का अनुपालन किया गया है।
(iv) यदि उपर्युक्त नीति का पालन नहीं किया जाता तो बिहार लोक सेवा आयोग द्वारा कोटिवार की गयी अनुशंसा की संख्या/क्रम को भंग करना पड़ता, जो नियमानुकूल नहीं है।
उदाहरण : बिहार लोक सेवा आयोग द्वारा सामान्य कोटि में कुल 14696 अभ्यर्थियों को सफल घोषित किया गया है, जिसमें मूलतः 3212 सामान्य कोटि के, 2512 आर्थिक रुप से पिछड़ा श्रेणी के, 4403 पिछड़ा वर्ग के, 3849 अति पिछड़ा वर्ग के, 686 अनुसूचित जाति एवं 34 अनुसूचित जनजाति के अभ्यर्थी है। इसके अतिरिक्त बिहार लोक सेवा आयोग द्वारा पिछड़ा वर्ग के लिए निर्धारित कुल 4549 पदों के विरुद्ध 4549 अभ्यर्थी, अति पिछड़ा वर्ग के लिए निर्धारित कुल 6822 पदों के विरुद्ध 6822 अभ्यर्थी, अनुसुचित जाति के लिए निर्धारित कुल 6069 पदों के विरुद्ध 6069 अभ्यर्थी, अनुसूचित जनजाति के लिए निर्धारित कुल 393 पदों के विरुद्ध 328 अभ्यर्थी की भी अनुशंसा की गयी है।
इस प्रकार यदि प्रधान शिक्षक पद के लिए अनुशंसित पिछड़ा वर्ग की कुल सफल अभ्यर्थियों की संख्या देखी जाय तो यह संख्या 8952 (सामान्य कोटि के तहत 4403 एवं पिछड़ा वर्ग के तहत 4549) है, जबकि पिछड़ा वर्ग के लिए जिलावार प्रधान शिक्षक पद के लिए कुल निर्धारित पदों की संख्या मात्र 4549 है। यही स्थिति अन्य कोटि में भी है। जिला स्तरीय संवर्ग रहने के कारण जिला स्तर पर कोटिवार स्वीकृत पद से अधिक उक्त कोटि के अभ्यर्थियों का पदस्थापन की कार्रवाई नहीं की जा सकती है।
यदि सामान्य कोटि में सामान्य कोटि के रुप में अनुशंसित पिछड़ा वर्ग के 4403 अभ्यथियों को पिछड़ा वर्ग का मानते हुए पिछड़ा वर्ग के लिए चिन्हित पदों के विरुद्ध पदस्थापन की कार्रवाई की जाती तो पिछड़ा वर्ग के लिए निर्धारित एवं अनुशंसित कुल 4549 पद में से पिछड़ा वर्ग के मात्र 146 अभ्यर्थियों को ही उनके कोटि के अनुरुप जिला आवंटन का लाभ मिल पायेगा। इस प्रकार पिछड़ा वर्ग कोटि में अनुशंसित शेष 4403 अभ्यर्थियों की अनुशंसा रद्द करनी होगी और इसके परिणामस्वरुप इतने पद रिक्त रह जायेगें। यही स्थिति अन्य कोटि में भी होगी।
अतः सभी नव पदस्थापित होने वाले प्रधान शिक्षक पद के अभ्यर्थियों को निदेश दिया जाता है कि बिना तथ्यों की जानकारी के विभाग द्वारा जिला आवंटन हेतु की गयी कार्रवाई पर प्रश्न चिन्ह न लगाये एवं इसका अनुपालन सुनिश्चित करें।