प्रियंका भारद्वाज/पटना, बिहार: रामनवमी के पावन अवसर पर बिहार हिंदी साहित्य सम्मेलन के अध्यक्ष डॉ. अनिल सुलभ ने साहित्य प्रेमियों और समस्त देशवासियों को अपनी रचना के माध्यम से हार्दिक शुभकामनाएं एवं मंगलकामनाएं प्रेषित की हैं।
डॉ. सुलभ ने कहा, “मर्यादा के प्रतिमान और मनुष्यत्व का देवत्व में परिष्कार के आदर्श, पुरुषोत्तम श्रीराम के जन्मोत्सव पर अपने इस गीत के साथ हार्दिक बधाई और अशेष मंगल कामनाएँ!”
उन्होंने श्रीराम के चरित्र को भारतीय संस्कृति और साहित्य की आत्मा बताया और कहा कि श्रीराम केवल एक ऐतिहासिक व्यक्तित्व नहीं, बल्कि जीवन के प्रत्येक पक्ष में मर्यादा, धैर्य, और करुणा का प्रतीक हैं।
बिहार हिंदी साहित्य सम्मेलन की ओर से भी इस अवसर पर अनेक साहित्यिक और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन आज होगा, जिसमें रामकथा, कवि सम्मेलन और भक्ति संगीत की प्रस्तुतियाँ शामिल रहीं।
देशभर के साहित्य प्रेमियों और विद्वानों ने डॉ. सुलभ के इस भावनात्मक संदेश का स्वागत किया और श्रीराम के जीवन से प्रेरणा लेने का आह्वान किया।
साथ की एक कविता भी प्रेषित की,
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रम रहे हो सब में राम
जगत में एक तेरा ही नाम
तुझे है बारंबार प्रणाम !
जगत में एक तेरा ही नाम !
शील क्षमा के उत्तुंग शिखर हो
प्रेम का सागर वहाँ जिधर हो
तुम हो करुणा के धाम !
जगत में एक तेरा ही नाम!
सौम्य-शक्ति के मिलन बिन्दु ज्यों
क्षितिज से जा मिल रहा सिंधु हो
नित गाता तुमको साम
जगत में एक तेरा ही नाम !
पौरुष की परिभाषा तुम से
सीता की अभिलाषा तुम से
हर मन का तू ही धान !
जगत में एक तेरा ही नाम !
तुझ से जो कोई नेह लगाता
भव- सिंधु से वह तर जाता
तुमही हो कृपा निधान!
जगत में एक तेरा ही नाम !
@ डा अनिल सुलभ