Kaushlendra Pandey/नई दिल्ली।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की दोस्ती एक बार फिर सुर्खियों में है। इस बार वजह है—16 साल पुराना न्याय का इंतज़ार। मुंबई 26/11 आतंकी हमलों के मुख्य साजिशकर्ताओं में से एक तहब्बूर राणा को अमेरिका से भारत प्रत्यर्पित किया जा रहा है। यह कदम भारत-अमेरिका के बीच मजबूत होते कूटनीतिक संबंधों और ट्रंप-मोदी की गहरी समझ का एक और प्रमाण माना जा रहा है।
तहब्बूर राणा, जो कनाडा और अमेरिका की नागरिकता रखने वाला एक पाकिस्तानी मूल का कारोबारी है, लंबे समय से अमेरिका की जेल में था। 2008 के भयावह मुंबई हमले में उसकी संलिप्तता के सबूत भारतीय एजेंसियों के पास वर्षों से मौजूद थे। परंतु कानूनी प्रक्रिया और वैश्विक राजनीति के चलते यह मामला ठंडे बस्ते में था।
डोनाल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति कार्यकाल के दौरान भारत-अमेरिका संबंधों में जो प्रगाढ़ता आई, उसका परिणाम अब देखने को मिल रहा है। यह प्रत्यर्पण न केवल आतंकवाद के खिलाफ भारत की मुहिम को मजबूती देगा, बल्कि न्याय की राह देख रहे 26/11 पीड़ितों के परिजनों को भी एक उम्मीद की किरण प्रदान करेगा।
भारत सरकार ने इस निर्णय का स्वागत किया है और कहा है कि तहब्बूर राणा का भारत में निष्पक्ष और सख्त कानूनी प्रक्रिया के तहत ट्रायल किया जाएगा। सूत्रों का कहना है कि प्रधानमंत्री मोदी ने इस मुद्दे को व्यक्तिगत रूप से गंभीरता से लिया था और ट्रंप प्रशासन के साथ लगातार संपर्क में थे।
यह मामला एक बार फिर साबित करता है कि जब दो वैश्विक नेता – नरेंद्र मोदी और डोनाल्ड ट्रंप – दोस्ती की नींव पर कूटनीति करते हैं, तो आतंक जैसे वैश्विक दुश्मन भी कानून के शिकंजे से नहीं बच सकते.