पटना, १० अप्रैल। गद्य-साहित्य में ‘लघु-कथा’ सर्वाधिक लोकप्रिय हो रही विधा है। संपूर्ण भारतवर्ष में, लघुकथा लेखकों की संख्या बहुत तेज़ी से बढ़ी है। प्रकाशन भी खूब हो रहे हैं। इसकी लोकप्रियता ने सृजन से दूर रहने वाले लोगों को भी आकर्षित किया है। यह प्रसन्नता-दायक है किंतु असजग लेखकों के कारण भाषा के स्तर के गिरने की आशंका बढ़ गयी है। लेखकों को सजग रहना चाहिए। लेखन और व्याख्यान के लिए भाषा की शुद्धता और मर्यादा सर्वाधिक अनिवार्य है। इसके अभाव में हिन्दी की बड़ी क्षति होगी।
यह बातें, गुरुवार को बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन में ‘लेख्य-मंजूषा’ के तत्त्वावधान में आयोजित लघुकथा-गोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए,सम्मेलन के अध्यक्ष, डा अनिल सुलभ ने कही। उन्होंने कहा कि नए लेखक ‘लघुकथा’ के शिल्प को ठीक से नहीं समझ पाने के कारण आकृति में छोटी कहानी को ‘लघुकथा’ समझ लेते हैं। लघुकथा में संक्षिप्तता और उद्देश्य की सूक्ष्मता नितांत आवश्यक है।
सभी लघु-कथाओं को सुनने के पश्चात मिर्ज़ापुर से पधारे वरिष्ठ लघुकथाकार डा राम दुलार सिंह ‘पराया’ ने समीक्षात्मक परामर्श देते हुए कहा कि लघुकथा का प्रभाव ऐसा होना चाहिए कि वह समाज में बदलाव लाए।
करनाल, हरियाणा के वरिष्ठ साहित्यकार डा अशोक भाटिया ने कहा कि रचना में जब कल्पना की रचनात्मकता आ जाती है, तो रचना उत्कृष्ट हो जाती है। रचना में गति और वाक्य-विन्यास में कसाव आवश्यक है। लघुकथा ‘गागर में सागर’ है । रचना में सांकेतिकता उसे सुंदर बनाती है।
पटियाला, पंजाब के वरिष्ठ गजलगो और लघुकथाकार योगराज प्रभाकर ने कहा कि जिस प्रकार कलाकार की कूँची और मूर्तिकार की छेनी का महत्त्व है, वही महत्त्व किसी साहित्यकार के लिए भाषा का है। इसके अभाव में कोई सृजन हो नहीं सकती। डा अनीता राकेश ने भी अपने विचार व्यक्त किए।
लघुकथा-गोष्ठी में, वरिष्ठ कथाकार मधुरेश नारायण, ऋचा वर्मा, गार्गी राय, शमा कौसर ‘शमा’, सिद्धेश्वर, विद्या चौधरी, डा मीना कुमारी परिहार, शुभचंद्र सिंहा, सीमा रानी, रौली कुमारी, प्रियंका श्रीवास्तव, डा रेणु मिश्रा, नूतन सिन्हा, अनिल रश्मि, कमल किशोर वर्मा ‘कमल’,अनीता मिश्रा सिद्धि, सागरिका राय, मृणाल आसतोष रवि श्रीवास्तव, सुधा पाण्डेय, तनुजा सिन्हा, प्रेमलता सिंह राजपुत, सुधांशु चतुर्वेदी, नीतू सिंह, नीता सहाय, प्रवीण कुमार श्रीवस्तव, पूनम कतरियार, रंजना सिंह, बिंदेश्वर प्रसाद गुप्ता, अर्चना त्रिपाठी ने अपनी लघुकथा का पाठ किया।
आरंभ में लेख्य-मंजूषा की अध्यक्ष विभारानी श्रीवास्तव ने अतिथियों का स्वागत किया। मंच का संचालन ऋचा वर्मा ने तथा धन्यवाद-ज्ञापन गार्गी राय ने किया।