मुस्लिम समाज ने ममता बनर्जी से की अपील
स्नेहा सिंह
कोलकाता: मुस्लिम समाज के प्रतिष्ठित लोगों ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से अपील की है कि उनके समुदाय के ऐसे लोगों पर सख्त कार्रवाई की जाए, जो आपराधिक मामलों में शामिल हैं। उनका कहना है कि ऐसा कदम उठाने से मुस्लिमों के तुष्टीकरण और संरक्षण जैसे आरोपों से छुटकारा पाया जा सकेगा। कोलकाता में दशकों से जिंदगी गुजार रहे अलग-अलग क्षेत्र के प्रतिष्ठित मुस्लिम नागरिकों ने हाल ही में शहर में हुई दो घटनाओं का हवाला देते हुए अपील जारी की है।
मुस्लिम समुदाय के प्रतिष्ठित नागरिकों ने पिछले सोमवार को एनआरएस मेडिकल कॉलेज में हिंसा के अलावा इस सोमवार को पूर्व मिस इंडिया और मॉडल उशोषी सेनगुप्ता और उनके कैब ड्राइवर से मारपीट के मामले का जिक्र किया। इन दोनों मामलों में वारदात के 24 घंटे के अंदर आरोपियों की गिरफ्तारी हो गई।
कोलकाता में मुस्लिम समुदाय के 46 प्रतिष्ठित नागरिकों ने खत में लिखा है, ‘दोनों ही मामलों में हमलावर हमारे समुदाय के थे। हम इससे दुखी और शर्मिंदा हैं। हमलावरों पर सिर्फ इन दो मामलों में ही नहीं बल्कि ऐसे हर मामलों में सख्त कार्रवाई की जाए, जिसमें कोई मुस्लिम शामिल हो। वे केवल इसलिए नहीं बच जाने चाहिए कि वे मुस्लिम हैं (ऐसी धारणा बढ़ रही है)। इससे समाज के बीच संदेश जाएगा कि किसी एक समुदाय के लोगों का बचाव और तुष्टीकरण नहीं किया जा रहा है (ज्यादातर लोग मानते हैं)।’
इसके साथ ही मुस्लिम समाज के प्रतिष्ठित नागरिकों ने ममता सरकार से अपील की है कि कोलकता के इलाकों में मुस्लिम युवाओं और उनके परिवारों के बीच लैंगिक संवेदनशीलता, नागरिक चेतना और कानून का पालन करने के लिए अभियान चलाते हुए उनसे जुड़ा जाए। इसके साथ ही उन्हें प्रोत्साहित भी किया जाना चाहिए। खत में कहा गया है, ‘ऐसा करने के लिए लंबे धैर्य की जरूरत है लेकिन इसे फौरन लागू किया जाना चाहिए।’
कोलकाता के एनआरएस मेडिकल कॉलेज ऐंड हॉस्पिटल में 10 जून को एक मरीज की मौत के बाद भीड़ ने डॉक्टरों पर हमला कर दिया था। इसके अगले दिन से अस्पताल में सुरक्षा बढ़ाने समेत कई मांगों को लेकर रेजिडेंट डॉक्टर हड़ताल पर चले गए थे। बाद में इस हड़ताल को इंडियन मेडिकल असोसिएशन (आईएमए), दिल्ली मेडिकल असोसिएशन (डीएमए) और दूसरे राज्यों से भी समर्थन मिला था। इस दौरान दिल्ली के एम्स और सफदरजंग जैसे अस्पतालों में भी रेजिडेंट डॉक्टरों ने हड़ताल की थी। डॉक्टरों की हड़ताल से देशभर में स्वास्थ्य सेवाएं चरमरा गई थीं। 17 जून को ममता बनर्जी और डॉक्टरों के प्रतिनिधियों से बातचीत के बाद डॉक्टरों ने हड़ताल खत्म करने का ऐलान किया था।