लोकसभा में विधायी कामकाज के पहले दिन लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला सख्त तेवर में नजर आए। सत्तापक्ष और विपक्ष दोनों तरफ के सांसदों को अनुशासन का पाठ पढ़ाने में उन्होंने कोई रियायत नहीं बरती। तीन तलाक विधेयक पेश करने को लेकर सदन में हंगामे के दौरान भी उन्होंने परंपराओं और नियमों का पूरा पालन किया। वह अध्यापक की भूमिका में नजर आए।मुसलिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक-2019 पर सदन में सत्तापक्ष और विपक्ष में टकराव तय था।
विधेयक पेश करने का विरोध करते हुए विपक्ष की तरफ से शशि थरूर, एमके प्रेमचंद्रन और असदुद्दीन ओवैसी ने नोटिस दे दिए थे। ऐसे में जब विपक्ष ने विधेयक पेश करने का विरोध शुरू किया तो लोकसभा अध्यक्ष ने उन्हें समझाया कि अभी मंत्री सिर्फ विधेयक पेश करने की अनुमति मांग रहे हैं।
उन्होंने कहा कि किसी सदस्य को इस विधेयक पेश किए जाने पर ऐतराज है, तो वह विधेयक पेश करने से पहले आपत्ति दर्ज करा सकता है। इसके बाद सभी विपक्षी सदस्य अपनी सीट पर बैठ गए। ओवैसी ने मतविभाजन की मांग की, तो परंपरा के मुताबिक उन्होंने ध्वनिमत से सदन की अनुमति ली, पर ओवैसी के अपनी मांग पर अड़ने पर उन्होंने फौरन मतविभाजन के लिए लॉबी खाली करने का आदेश दे दिया।
उन्होंने तीन तलाक विधेयक पर सिर्फ उन्हीं सदस्यों को बोलने का मौका दिया, जिन्होंने नोटिस दिया था। विपक्ष के कुछ सदस्यों ने उसी वक्त नोटिस दिया, पर अध्यक्ष ने इसे नामंजूर करते हुए कहा कि विधेयक पेश करने का विरोध करने के लिए एक तय वक्त के अंदर नोटिस देना होता है। इसलिए वह अब इस विषय पर किसी सदस्य को बोलने का मौका नहीं देंगे।
अभी तक देखा जा रहा था की संसद की गरिमा को हल्ला और सोर शराबे में खतम हो जाता लेकिन सायद अब न हों !
कौशलेन्द्र पाण्डेय
संपादक .