यह कहना गलत नहीं होगा कि दुनिया में जितनी भी क्रांति हुई है, उसमें लेखकों और उनके साहित्य का योगदान हमेशा अहम रहा है। शब्दों की सत्ता ने हर काल में अपनी उपस्थिति को मजबूती से दर्ज करायी है। ऐसे ही एक साहित्य के धनी और एकांतिक साधक हैं पंडित योगेन्द्र प्रसाद मिश्र, जिन्होंने अपनी आयु की परवाह किए बिना आज भी हिन्दी भाषा और साहित्य के लिए लगातार श्रम किए जा रहे हैं और साथ ही मूल्यवान सेवाएं भी, जिन्हें आने वाली पीढ़ियां हमेशा याद रखेंगी।
22 जून 2019 यानी कि शनिवार को बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन के अर्थ मंत्री श्री पंडित योगेन्द्र प्रसाद मिश्र के 82वें जन्म दिवस पर मानांजलि-समारोह का आयोजन डॉ. अनिल सुलभ की अध्यक्षता में ही की गई जहां वह यह कहते नज़र आए कि –
“पंडित योगेन्द्र प्रसाद मिश्र एक समर्थ आशु कवि हैं। यूं तो कविता करना एक कठिन कार्य माना जाता है लेकिन पंडित योगेन्द्र प्रसाद मिश्र अपने सरलता और संवेदनशीलता को कविता में बखूबी पिरोकर सबका दिल जीत लेने में आगे रहते हैं और उनका यह गुण स्पष्ट रूप से परिलक्षित भी होता है…”
गौरतलब है कि इस खास साहित्य समारोह में शास्त्रोपासक आचार्य चंद्र भूषण मिश्र, डॉ. शिववंश पांडेय, नृपेंद्र नाथ गुप्त, डॉ. शंकर प्रसाद, कुमार अनुपम, प्रो. बासुकीनाथ झा, आरपी घायल, राज कुमार प्रेमी आदि मौजूद थे।
– CIN के लिए प्रिया सिन्हा, चीफ सब एडिटर की रिपोर्ट