आरा – एक तरफ सरकार प्रत्येक गांव को सड़क मार्ग से जोड़ने को लेकर कवायद कर रही है. वहीं दूसरी तरफ भोजपुर जिले के जगदीशपुर प्रखंड अंतर्गत बीमवा पंचायत के बीमवा गांव में आजादी के सात दशक बाद भी सड़क नहीं बन पाया है. बस खानापूर्ति के लिए ईट सोलिंग लगाकर छोड़ दिया गया जो आज जर्जर होकर मौत का घंटी का आमंत्रण दे रहा है। इस गांव में ग्रामीण मुख्य सड़क तक जाने के लिए पैदल लगभग पौने दो किलोमीटर तक पगडण्डी के सहारे आते हैं, तब जाकर मुख्य मार्ग तक आकर मुख्य मार्ग से वाहन की सुविधा ले पाते हैं.
कहते हैं अस्सी नब्बे वर्ष पुराने इस गांव में आज तक सड़क नहीं बन पाया है. जिससे गांव वालों को भारी समस्याओं का सामना करना पड़ता है .वही उस वक्त खासकर जब गर्भवती महिला को लेकर प्रखंड मुख्यालय जाना पड़ता है. गांव से पैदल ही गर्भवती को लेकर मुख्य सड़क तक आती है.वहीं गांव के लोगों का कहना है कि आम दिनों में तो गांव के लोग किसी तरह मुख्य सड़क तक पैदल चले ही आते हैं मगर बरसात के दिनों में मुश्किल काफी बढ़ जाती है. खासकर उस वक्त जब कोई बीमार पड़ जाय तो कांधे पर लेकर दो किलोमीटर मुख्य मार्ग तक जाना पड़ता है। आखिर इस गांव में कब सड़क बनेगा.बहरहाल देखना ये है कि आजादी के बाद आज तक एक अदद सड़क के लिए मरहूम यह गांव और कितने दिनों तक एक सड़क के लिए सरकार और जन प्रतिनिधियों की तरफ टकटकी लगाए बैठते हैं। क्या दर्द है गांव वालों में ..और क्या कहते है…सड़क की इस हालत में अब फिर से हमारे बच्चे स्कूल नही जा पायेंगे, फिर से हम हमारे खेतों से अनाज बाजार तक नही ले जा पायेंगे, फिर से हमें रोजगार के लिये शहर कि अोर 6 किलोमीटर कच्ची सड़क से होकर जाना पड़ेगा, फिर से स्वास्थ्य समस्या होने पर मरीज को कंधे पर उठाकर 6 किलोमीटर जाना होगा. क्या हमारी कोई नहीं सुनेगा ? इन्हीं समस्याओ को दूर करने के लिए सरकार ने पक्की सड़क बनवाने के लिये लाखों रुपये खर्च किये फिर भी सुविधा नही मिल पायी. इसलिए क्योंकि पूरा पैसा भ्रष्टाचार में चला गया। पैसे का दुरुपयोग होणे के कारण ग्रामीण इलाकों का विकास जिस तरीके से होना चाहिये वैसे नही हो पा रहा है।
बिहार, ब्यूरो
रामाशंकर