सरकार विकास विकास की लाख रट लगाते रहे पर नालन्दा जिला के बेन प्रखंड के जोगा विगहा के बच्चों के लिए यह थोथी दलील ही नजर आती है।विगत 50 दिनों से विद्यालय का ताला भी नहीं खुला है। दो वर्षों से बच्चों को न छात्रवृति की राशि मिली और न पोशाक की।बच्चे प्रतिदिन विद्यालय आते हैं और ताला बंद देखकर लौट जाते हैं।यह सिलसिला गर्मी के छुट्टी से पहले और बाद तक चालू है।यह हाल है नालन्दा जिला के बेन प्रखंड के प्राथमिक विद्यालय जोगा विगहा का।यह विद्यालय कई वर्षोंं से विवादों से घिरा हुआ है। कोई भी शिक्षक इस विद्यालय में टीक नहीं पाते हैं।कोई सस्पेंड तो कोई गवन के आरोपी हो जाते हैं। कोई योगदान ही नहीं देते हैं तो कोई बीमारी का बहाना बनाकर छुट्टी पर चले जाते हैं। इस विद्यालय में कार्यरत कई शिक्षकों पर बच्चों की छात्रवृत्ति या पोशाक राशि के गवन में एफआईआर हो चुके हैं।इस स्कूल से संबंधित शिक्षक नियोजन ईकाई की कोई अस्तित्व नजर नहीं आती है। क्योंकि इस नियोजन ईकाई द्वारा प्रतिनियोजित किया गया शिक्षक कई महिनों बाद भी इस विद्यालय में योगदान नहीं देते हैं।हैरत की बात तो यह है कि योगदान नहीं देने वाले शिक्षकों पर यह नियोजन ईकाई कोई भी कार्रवाई नहीं कर पाती है। पंचायत से लेकर जिला तक के शायद ही कोई अधिकारी होंगे जिनके ज़ेहन में प्राथमिक विद्यालय जोगा विगहा का नाम नहीं होगा। पंचायत प्रतिनिधियों से लेकर प्रखंड एवं जिला के अधिकारीगण भी इस विद्यालय के प्रति गंभीर नहीं हैं।इन्हीं सब साहबों के चलते बेन प्रखंड के जोगा विगहा गांव के छः से चौदह वर्ष के बच्चों का भविष्य चौपट हो रहा है।
डी.एस.पी.सिंह