“खलबली है… खलबली… खलबली है… खलबली… है खलबली…” क्यों सोच में पड़ गए ना कि भला यह खलबली कहां मची हुई है??? दरअसल, राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) में इन दिनों ज़ोरों की खलबली मची हुई है। इस खलबली की शुरुआत तब हुई जब पटना लौटने के दूसरे दिन भी तेजस्वी यादव विधानसभा की कार्यवाही में शामिल होने नहीं पहुंच पाए थे। फिर क्या इसको लेकर अटकलों का बाजार गर्म होता चला गया।
बता दें कि बिहार सरकार के मंत्री और भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) नेता विजय सिन्हा के इस दावे ने सियासी गलियारे में हडकंप मचा दिया है कि तेजस्वी ने परिवार के सामने तेजप्रताप को पार्टी से निकालने की शर्त रख दी है, जिसके कारण लालू कुनबा में हडकंप ज़ोरों शोरों से मचा हुआ है।
विजय सिन्हा की मानें तो जब तक तेजप्रताप यादव को पार्टी से बाहर निकाला नहीं जाएगा तब तक तेजस्वी यादव सदन की कार्यवाही में शामिल नहीं होंगे।
वहीं दूसरी ओर, आरजेडी ने मंत्री के दावों को साफ खारिज करते हुए कहा है पार्टी के विधायक भाई वीरेन्द्र ने कहा है कि यह सिर्फ अफवाह है जिसे विरोधी धड़ल्ले से उड़ा रहे हैं और उनके दावे में कोई हकीकत नहीं है।
यह कहना गलत नहीं होगा कि तेज प्रताप के हाथों में लालू की राजनीति सोभा नहीं दे रही है और ना ही उनसे ठीक तरह से संभाला जा रहा है। इतनी बड़ी हार के बाद लालू का नाम भी काफी बदनाम होता दिख रहा है और यह बदनामी तेज प्रताप द्वारा दी गई है।
हालांकि इससे पहले भी दोनों भाईयों के बीच तकरार की खबरें हमेशा से आती रही हैं। अब देखना यह दिलचस्प होगा कि लालू कुनबा किस नतीजे पर पहुंचती है और किसे खुश और किसे नाराज़ कर जाती है…
CIN के लिए प्रिया सिन्हा, चीफ सब-एडिटर की रिपोर्ट.
Ex सब एडिटर – जनसत्ता ..