नालंदा जिला मुख्यालय बिहार शरीफ के मध्य विद्यालय ककड़िया के प्रांगण में विद्यालय के चेतना सत्र में भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम के अग्रणी नेता, भारतीय जनसंघ के संस्थापक डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी की 118 वीं जयंती समारोह प्रधानाध्यापक शिक्षक शिवेंद्र कुमार की अध्यक्षता में आयोजन किया गया और उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि दी गई। इस दौरान स्कूल के बच्चे व शिक्षकों ने डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी के चित्र पर माल्यापर्ण कर उन्हें याद किया और उन्हें नमन किया।
विद्यालय के चेतना सत्र में डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी की जयंती के मौके पर बिहार अराजपत्रित प्रारम्भिक शिक्षक संघ के राज्य परिषद सदस्य शिक्षाविद राकेश बिहारी शर्मा ने छात्र-छात्राओं को सम्बोधित करते हुए अपने उद्बोधन में कहा कि बंगाल की भूमि वीर रत्नों की भूमि रही है, जिन्होंने देश ही नहीं समाज के लिए भी अपना जीवन समर्पित कर दिया। ये भारत के स्वतन्त्रता संग्राम के अग्रणी नेता थे। डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी का जन्म 6 जुलाई 1901 को बंगाल में हुआ था। इनके पिता श्री आशुतोष मुखर्जी एक संपन्न व प्रतिष्ठित व्यक्ति थे। ऐसे परिवार में जन्म लेकर भी डॉक्टर श्यामा प्रसाद मुखर्जी बाल्यावस्था से ही सादगी पूर्ण जीवन जीने में विश्वास रखते थे। निडर निर्भीक इतने की स्कूली जीवन में अपने एक गरीब मित्र की उन्होंने फीस तक माफ करवा दी।
श्यामाप्रसाद मुखर्जी नवभारत के निर्माताओं में से एक महत्त्वपूर्ण स्तम्भ हैं। वे आज भी युवाओं के प्रेरणाश्रोत हैं। डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी एक देशभक्त और स्वाभिमानी राष्ट्रवादी व राष्ट्रवाद के पुरोधा थे। उन्होंने भारत की एकता और अखंडता के लिए अपना सारा जीवन समर्पित कर दिया था। एक मजबूत और एकजुट भारत के लिए उनका जुनून हमें प्रेरित करता है।
श्रीशर्मा ने कहा कि स्वतंत्र भारत की आधारशिला रखने वाली विभूतियों में महान शिक्षाविद अनन्य देशभक्त प्रखर सांसद राजनेता सिद्धांत पुरुष एवं भारतीय जनसंघ के संस्थापक श्यामा प्रसाद मुखर्जी थे। जिस प्रकार हैदराबाद निजाम को भारत में विलय करने का श्रेय लोह पुरुष सरदार पटेल को है, उसी प्रकार पश्चिम बंगाल को भारत से पृथक न करने देने में डॉक्टर मुखर्जी का श्रेय है। निसंदेह भारत केसरी डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी भारत के अमर सपूत थे। उन्हें किसी प्रांतीय सीमा में बांधना अथवा किसी दल विशेष से जोड़ना उचित नहीं होगा। उनका संपूर्ण जीवन एक तपस्वी की भांति था, और वह भगवान शंकर की तरह जीवन पर्यंत राष्ट्र की एकता के लिए विषपान करते रहे थे। ऐसे राष्ट्रवादी चिंतक को भारत कभी भूलेगा नही। उन्हें किसी दल की सीमाओं में नहीं बांधा जा सकता क्योंकि उन्होंने जो कुछ किया देश के लिए किया और इसी भारतभूमि के लिए अपना बलिदान तक दे दिया।
उन्होंने कहा कि ऐसे दिव्य पुरुष की गौरवमयी गाथा को जन-जन तक पहुंचाना हमारा परम सौभाग्य होगा, ताकि भारत की युवा पीढ़ी डॉ. मुखर्जी के जीवन से प्रेरणा लेकर देश को उन्नति के नये शिखर पर ले जाए।
डॉक्टर श्यामा प्रसाद मुखर्जी स्वतंत्रता के बाद वे नेहरू मंत्रिमंडल में वाणिज्य मंत्री के पद पर रहे। उस पद पर रहते हुए उन्होंने चितरंजन रेलवे इंजन का कारखाना, सिंदरी बिहार की खाद फैक्ट्री, समुद्री जहाज निर्माण के कारखानों के निर्माण हेतु अपना अथक श्रम व शक्ति लगा दी। स्त्री शिक्षा सैनिक शिक्षा योग और अध्यात्म की शिक्षा टीचर्स ट्रेनिंग हेतु उन्होंने पर्याप्त प्रयास किए।
इस मौके पर शिक्षक सुरेद प्रसाद रजक, शिक्षक सच्चिदानंद प्रसाद, शिक्षक जितेंद्र कुमार मेहता, शिक्षक सुरेश कुमार, बाल संसद के प्रधानमंत्री रौशन कुमार, उप प्रधानमंत्री मेनका कुमारी, शिक्षामंत्री कुमकुम कुमारी, उप शिक्षामंत्री पवन कुमार छात्र-छात्रा निगम कुमार, मोनी कुमारी, काजल कुमारी, रिंकी कुमारी, नेहा कुमारी, रानी कुमारी, मुस्कान कुमारी, आरती कुमारी, वर्षा कुमारी, शोभा कुमारी, अंजनी कुमारी, प्रताप कुमार, रिपु कुमार, चंद्रमणि कुमार, गुड्डू कुमार, नवलेश कुमार, सौरभ कुमार, उजाला कुमार, गौतम कुमार आदि सहित सैकड़ों छात्र-छात्राओं ने उपस्थित होकर कार्यक्रम में भाग लिया।
नालंदा से डीएसपी सिंह