केंद्रीय बजट 2019-20 को पूरी तरह दिशाहीन बताते हुए पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कहा कि इसमें समाज के किसी भी वर्ग को कुछ भी नहीं दिया गया और यहां तक कि रक्षा जैसे अहम क्षेत्र को भी अनदेखा किया गया है। उन्होंने कहा कि श्री गुरु नानक देव जी के 550वें ऐतिहासिक प्रकाश पर्व को मनाने संबंधी समारोहों के लिए भी फंड की कोई व्यवस्था नहीं की गई।
केंद्रीय बजट की तीखी आलोचना करते हुए मुख्यमंत्री ने इसे बड़ी बातें और छोटे काम वाला बजट बताया। उन्होंने कहा कि इसमें राष्ट्रीय हितों को पूरी तरह अनदेखा किया गया है। केंद्रीय मंत्री ने अपनी प्राप्तियों को भूतकालिक वाक्यों और वादों को भविष्य के वाक्यों में पेश किया लेकिन उन्होंने इस बात का कोई भी संकेत नहीं दिया कि सरकार वर्तमान समय में लोगों को क्या देने की इच्छा रखती है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि बजट में जिक्र की गई पिछली प्राप्तियां पिछली कांग्रेस सरकारों द्वारा किये गए कार्यों का प्रमाण हैं। कैप्टन ने इन तथ्यों पर हैरानी प्रकट की कि लोकसभा चुनाव में राष्ट्रवाद के झंडे को बुरी तरह उभारने वाली एनडीए सरकार ने बजट में रक्षा क्षेत्र में केवल 6.5 प्रतिशत का विस्तार करने का एलान करके इस क्षेत्र को पूरी तरह अनदेखा किया है ! कैप्टन ने कृषि के लिए रियायतों या किसी असरदार दखल का एलान करने में नाकाम रहने के लिए केंद्र सरकार की तीखी आलोचना की है क्योंकि कृषि सेक्टर पूरी तरह बर्बाद हो गया है और किसान आत्महत्याएं कर रहे हैं। बजट में पंजाब की सिर्फ एक मांग हुई पूरी
पंजाब के वित्त मंत्री मनप्रीत सिंह बादल ने केंद्र सरकार के वर्ष 2019-20 के आम बजट पर मायूसी जताते हुए कहा कि यह बजट न तो देश के किसी वर्ग की उम्मीदों पर खरा उतरा है और न ही पंजाब को लंबे समय से चली आ रही मांगों को लेकर ही कोई राहत मिली है।
हालांकि मनप्रीत ने यह भी कहा कि इस बजट में पंजाब की सिर्फ एक मांग पूरी हुई है और राज्य सरकार को शराब की लाइसेंस फीस पर लग रहे 18 फीसदी जीएसटी से छूट मिल गई है।
उन्होंने कहा कि पंजाब को शराब पर टैक्स लाइसेंस फीस के रूप में प्राप्त होता है और सर्विस टैक्स पर जीएसटी 18 फीसदी लगाई गई है। पंजाब सरकार की लाइसेंस फीस से आय 6000 करोड़ रुपये सालाना है और उस पर सर्विस टैक्स 18 फीसदी देना पड़ रहा था।
उन्होंने कहा कि लंबे समय से इस टैक्स को हटाने की मांग की जा रही थी, जिसे इस बजट में मंजूर कर लिया गया है। इससे राज्य सरकार को 108 करोड़ रुपये की राहत मिलेगी।
पेट्रोल-डीजल पर सेस राज्यों से हेराफेरी
पेट्रोल-डीजल पर सेस की आलोचना करते हुए मनप्रीत ने कहा कि 2016 में जब दुनिया भर में तेल की कीमतें कम थी, उस समय तो सरकार ने लोगों को इसका फायदा मिलने नहीं दिया। अब जब विश्व बाजार में कच्चा तेल 65 डॉलर प्रति बैरल है तो उपकर की आड़ में जनता पर बोझ लादा जा रहा है।
मनप्रीत ने कहा कि पेट्रोल-डीजल पर लिए जाने वाले टैक्स में राज्यों का 42 फीसदी हिस्सा होता है लेकिन उपकर या अतिरिक्त कर केवल केंद्र की झोली में जाता है। इस बार उपकर लगाकर और इससे पहले भी पेट्रोल-डीजल पर अतिरिक्त कर लगाकर केंद्र राज्यों का हिस्सा हड़प रहा है।
निखिल दुबे
पंजाब