सरकार ने सोमवार को लोकसभा में एक बिल पेश किया जिसके पारित होने के बाद कांग्रेस पार्टी का अध्यक्ष जालियांवाला बाग राष्ट्रीय स्मारक ट्रस्ट का सदस्य नहीं बन पाएगा.
कांग्रेस अध्यक्ष नहीं बनेंगे ट्रस्टी के सदस्य बिल का नाम जलियांवाला बाग राष्ट्रीय स्मारक संशोधन बिल है. जालियांवाला बाग राष्ट्रीय स्मारक कानून 1951 में संशोधन के लिए यह बिल लाया गया है. कानून में जालियांवाला बाग को राष्ट्रीय स्मारक बनाने और उसके रखरखाव के लिए एक ट्रस्टी बनाने का प्रावधान किया गया था जिसमें कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष एक सदस्य के तौर पर शामिल होते थे. अब मोदी सरकार इसी प्रावधान को बदलने जा रही है. संशोधित बिल में कांग्रेस अध्यक्ष को ट्रस्टी के सदस्य के तौर पर मनोनीत किए जाने का प्रावधान हटा लिया गया है.
लोकसभा में सबसे बड़े विपक्षी दल का नेता होगा सदस्य नए बिल में सरकार ने एक और त्रुटि को ठीक करने का प्रावधान किया है. अब तक ट्रस्टी के सदस्य के तौर पर लोकसभा में विपक्ष के नेता को नियुक्त किए जाने का प्रावधान है. चूंकि इस वक्त लोकसभा में किसी को भी विपक्ष के नेता का दर्जा प्राप्त नहीं है लिहाजा वह ट्रस्ट का सदस्य नहीं बन सकता. कानून में संशोधन कर नए बिल में इस बात का प्रावधान किया गया है कि अगर किसी को लोकसभा में विपक्ष के नेता का दर्जा नहीं है तो उसकी जगह सदन में सबसे बड़े विपक्षी दल के नेता को ही ट्रस्टी का सदस्य बनाया जाए. इसका मतलब अगर नए कानून के मुताबिक ट्रस्टी का गठन होता है तो उसमें लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी को सदस्य बनाया जाएगा.
5 साल के पहले हटाना सम्भव इतना ही नहीं बिल में ट्रस्टी के सदस्यों का कार्यकाल भी तय किया गया है. ट्रस्टी के सदस्य 5 साल के लिए चुने जाएंगे लेकिन सरकार को यह अधिकार होगा कि 5 साल के पहले भी किसी सदस्य की सदस्यता रद्द कर दी जाए.
कांग्रेस ने किया विरोध जाहिर है कि बिल को पेश किए जाते समय कांग्रेस की तरफ से इसका विरोध हुआ. कांग्रेस के सांसद शशि थरूर ने इस आधार पर सरकार से बिल को वापस लेने की गुजारिश की कि इस ट्रस्टी से कांग्रेस नेताओं का ऐतिहासिक जुड़ाव रहा है लिहाजा उन्हें ट्रस्टी से हटाना ठीक नहीं है. हालांकि सरकार का तर्क है कि किसी एक पार्टी के अध्यक्ष को ट्रस्टी का सदस्य नहीं बनाया जा सकता और उन्हें हटाकर ट्रस्टी को गैर राजनीतिक बनाने की कोशिश की जा रही है. आपको बता दें कि 1951 में कानून बनने के बाद जब पहली बार ट्रस्टी का गठन हुआ तो उसमें जवाहरलाल नेहरू, सैफुद्दीन किचलू और मौलाना अबुल कलाम आजाद जैसे कांग्रेस के दिग्गजों को ताउम्र ट्रस्टी का सदस्य बनाया गया था.
निखिल दुबे
संबाददाता, पंजाब