नेपाल व बिहार के कई इलाकों में मानसून की बारिश के साथ उत्तर बिहार, कोसी और सीमांचल में बाढ़ का कहर फिर गहरा गया है। नए इलाकों में पानी घुसने से लोगों की मुश्किल बढ़ने लगी है। बांध, पुल व सडक टूट रहे हैं तो घर भी गिर रहे हैं। राहत व बचाव के बीच बाढ़ के कारण मरने वालों का आंकड़ा दो सौ पार कर गया है।
उत्तर बिहार में शुक्रवार को भी बारिश से जनजीवन अस्तव्यस्त है। नदियों के जलस्तर में वृद्धि जारी है। गुरुवार की बात करें तो चंपारण, सीतामढ़ी, मधुबनी, दरभंगा और मुजफ्फरपुर जिले के सैकड़ों गांवों में बाढ़ का पानी घुस गया है। रक्सौल में त्रिवेणी नहर का तटबंध टूटने से कई गांवों में पानी फैल गया है। सीतामढ़ी में राहत को लेकर लोगों ने हंगामा किया। दरभंगा के जाले में बाढ़ पीडि़तों ने प्रखंड प्रमुख-उप प्रमुख को बंधक बनाया।
पश्चिम-पूर्वी चंपारण, दरभंगा, सीतामढ़ी के नए इलाके डूबे
पश्चिम चंपारण जिले में दोन के 22 गांवों का सड़क संपर्क लगातार चौथे दिन भी भंग है। रामनगर प्रखंड की गुदगुदी पंचायत के गांवों को मसान नदी के कहर से बचाने के लिए बना पायलट चैनल और पारको पाइन बांध का नामोनिशान मिट गया है। एनएच- 727 पर सिरौना व पचफेड़वा गांव के बीच डेढ़ फीट पानी बह रहा है। सिकटा व मैनाटांड प्रखंड मुख्यालय से अनुमंडल मुख्यालय का संपर्क भी भंग हो गया है।
पूर्वी चंपारण में सिकरहना नदी का पानी सुगौली शहर में प्रवेश कर गया है। बंगरी नदी के दबाव से रामगढ़वा प्रखंड के बेलहिया गांव के पास त्रिवेणी नहर का तटबंध करीब 30 फीट तक टूट गया है।उधर, पूर्वी बिहार, सीमांचल व कोसी में भी एक बार फिर हालात बिगड़ हैं। पूर्णिया में महानंदा, परमान, कनकई आदि नदियों का जलस्तर अभी खतरे के निशान से नीचे हैं, लेकिन पानी बढ़ रहा है। सुपौल में कोसी के जलस्राव में उतार-चढ़ाव जारी है। सहरसा में भी कोसी के जलस्तर में बढ़ोतरी हुई है। मधेपुरा में कोसी व सुरसर नदी के जलस्तर में कमी आने से निचले हिस्सों में पहुंचा पानी कम हो गया है। अररिया में बहने वाली बकरा, रतवा, नूना आदि नदियों के जलस्तर में वृद्धि हुई है। दहगामा में नूना नदी का तटबंध कटाव का शिकार हो रहा है। किशनगंज में महानंदा, कनकई, मेंची समेत सभी छोटी-बड़ी नदियां उफान पर हैं।
बिनय ठाकुर