विपक्षी दलों के कड़े विरोध के बावजूद केंद्र सरकार ने 30 जुलाई, 2019 को ऐतिहासिक तीन तलाक विधेयक राज्यसभा से पारित करा ही दिया। यूं तो लोकसभा से पहले ही यह बिल पारित हो चुका था और अब राष्ट्रपति की मंजूरी मिलने के बाद यह कानून भी बन जाएगा। जान लें कि इसके बाद ‘एक साथ तीन तलाक’ देना कानूनन अपराध माना जाएगा।
पहले पति और पत्नी में कोई छोटी सी टकरार हो जाती और वह बिना सोचे-समझे एक दूसरे को वह एक शब्द तलाक 3 बार बोल जाते और बस तलाक हो जाता… गुस्से में बोला गया यह एक शब्द ना जानें कितनी ज़िंदगियों को बर्बाद कर जाते हैं… लेकिन अब ऐसा नहीं होगा और यह सब मुमकिन हो पाया है नरेंद्र मोदी के राज्य में यानी कि मोदी सरकार है तो मुमकिन है…
बता दें कि मुस्लिम महिलाओं को इस प्रथा से मुक्ति दिलाने के लिए केंद्र सरकार लगातार कोशिशों में जुटी हुई थी। वहीं, कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने 30 जुलाई, 2019 को राज्यसभा में बिल पेश करते हुए कहा कि – “महिलाओं को न्याय दिलाने के लिए यह विधेयक लाया गया है…” करीब छह घंटे तक चली चर्चा के दौरान विपक्ष दल बंटता नजर आया। सत्ता पक्ष के साथ विपक्ष के कई दलों ने भी वोटिंग से खुद को अलग कर लिया था पर बीजू जनता दल ने सरकार का साथ दिया।
दूसरी ओर, विपक्ष के ज्यादातर दलों की यह मांग थी कि विधेयक को प्रवर समिति में भेजा जाए। और जब सरकार ने उनकी मांग नहीं मानी तो मतदान कराना पड़ गया और फिर अंतत: विपक्ष का प्रस्ताव 84 के मुकाबले 100 मतों से गिर गया। जान लें कि इसके अलावा विपक्ष के दर्जनभर से अधिक संशोधन एक-एक कर के अपने आप गिरते चले गए और इसी के साथ आखिर में तीन तलाक विधेयक 84 के मुकाबले 99 मतों से पारित हो गया।
यहां ध्यान दें –
* 184 सदस्य मौजूद
* 99 वोट पक्ष में पड़े
* 84 मत विरोध में
* 01 एनडीए सदस्य के मत की गिनती गड़बड़ी के कारण नहीं हुई
सत्य यह है कि सरकार के सहयोगी जदयू, अन्नाद्रमुक ने वॉकआउट किया ही टीआरएस, बसपा और पीडीपी ने भी मतदान में हिस्सा ना लेकर सरकार की राह काफी आसान कर दी थी। और तो और कांग्रेस,तृणमूल कांग्रेस, एनसीपी जैसे दलों के कई सांसद भी गैरहाजिर रहे। बहरहाल बीजद, शिवसेना, अकाली दल, असम गण परिषद और एसडीएफ ने समर्थन किया।
दिलचस्प बात यह है कि एनसीपी के शरद पवार, प्रफुल्ल पटेल, राजद के राम जेठमलानी व मीसा भारती समेत 30 सांसद गैरहाजिर रहे।
तीन तलाक के प्रमुख प्रावधान कुछ इस प्रकार है –
1. तीन तलाक का अपराध सिद्ध होने पर पति को होगी तीन साल तक की जेल।
2. पत्नी के बयान को सुनने के बाद मजिस्ट्रेट जमानत देने का फैसला ले सकेंगे।
3. मुस्लिम महिला या उसका कोई भी रक्त संबंधी स्थानीय पुलिस थाने में जाकर कर सकेगा तीन तलाक देने की शिकायत.
प्रिया सिन्हा
चीफ सब एडिटर