पिछले कुछ दिनों से कश्मीर में बैचेनी है। यह बेचैनी घाटी तक सीमित नहीं है। इसके दायरे में दिल्ली का राजनीतिक गलियारा भी है। शुक्रवार को अमरनाथ यात्रा रोकने के फैसले के बाद से ‘लगता है, कुछ बड़ा होने वाला है कश्मीर में…’उसके बीच सवाल यह भी है कि कश्मीर में बाहरी ताकतों से खतरा है या फिर यह भीतर की चुनौतियों से ही निपटने की तैयारी है। घाटी मे सुरक्षा के नजर से सुरक्षा बलो की 280 कम्पनिया यानी 28 हजार जवानो की तैनाती की गयी है
अधिकारिक सूत्रो से पता लगा की सुरक्षा बलो की तैनाती श्री नगर के अती संवेदनसील इलाको और घाटी मे तैनात की जायेगी इनमे अधिकतर CRPF के जवान होंगे ।
आतंकी खतरे के मद्देनजर जम्मू-कश्मीर प्रशासन की ओर एक एडवाइजरी जारी की गई थी. इसमें लिखा था, “आतंकी खतरे, खास तौर पर अमरनाथ यात्रा को निशाना बनाने के खतरे पर खुफिया विभाग के ताजा इनपुट और कश्मीर घाटी के सुरक्षा हालात को ध्यान में रखते हुए अमरनाथ यात्रियों और पर्यटकों के हित में ये सलाह दी जाती है कि वो तुरंत घाटी में अपने ठहराव को छोटा करें और जितना जल्द हो सके वापस लौटने की कोशिश करें.”
इस एडवाइजरी के बाद प्रशासन ने अमरनाथ यात्रा पर जा रहे यात्रियों को वापस बुलाना शुरू कर दिया.
रजनीश कुमार
उपसंपादक