पटना,
हिंदी साहित्य सम्मेलन पटना में साहित्य के क्षेत्र में कार्य कर 100 विद्वानों को सम्मानित किया गया, विधि मंत्री रविशंकर प्रसाद एवं डॉ अनिल सुलभ ने संयुक्त रूप से देश से आए संत साहित्यकारों को सम्मानित किया. सबसे पहले अंडमान से आए युवा साहित्यकार डी. अभिषेक को मंच पर बुलाया गया. डॉ अनिल सुलभ ने उनके कंधे पर शाल रखा और श्री रविशंकर प्रसाद ने प्रतीक दिया, उस समय तालियों
की गड़गड़ाहट से पूरा हाल गूंज उठा. माइक उठाते हैं श्री रविशंकर प्रसाद मंत्री ने कहा आप हमारे शहर आए हैं. आपका पटना की धरती पर स्वागत है. हिंदी हमारी राष्ट्रभाषा है. या देश की अंतरात्मा है. प्रेमचंद, दिनकर, शिवपूजन सहाय ऐसे कवि को बिहार ने दिया है. जरा सोचिए देश के प्रथम राष्ट्रपति राजेंद्र बाबू ने जब 1920 में पटना हाईकोर्ट में प्रकाश शुरू किया था, वह जमाने में 15 से ₹20000 कमाते थे, महात्मा गांधी के आवाहन पर राजेंद्र बाबू ने अपने वकालत की पैसा को छोड़कर अपने देश के लिए जेल गए. और जेल में रहकर कर वे अपने जीवन की आत्मकथा लिखी.
भारत की सरकार के कामकाज की भाषा कोई भारतीय भाषा नही है, यह भारत के हर एक नागरिक के लिये वैशिवक लज्जा का विषय है ।हाल ही मे केंद्र सरकार ने जैसी ढृढ़ता दिखाई है,वैसे ही ढृढ़ता हिन्दी के मामलो मे भी दिखाएं और राजभाषा अधिनियम के उस कलंक सद्रश संशोधन को अविलंब समाप्त करे ।(डॉ अनिल सुलभ)
पटना बिहार मे 100 साहित्यकारो को किया गया सम्मानित, श्री डी. अभिषेक,डॉ. अंजनी कुमार श्रीवास्तव,डॉ. के सुधा,डॉ. दीपा गुप्ता, डॉ. अनुशब्द , तूम्बत रीबा लीली,डॉ.राहुल अवस्थी ,सल्तनत पवार,आलोक शर्मा हानमनह्र,सिनिवाली शर्मा,वर्षा गुप्ता हासंप्रभाह्र ,डॉ.मोनिका शर्मा देवी,डॉ. सोनी पांडेय ,डॉ.राजकुमार उपाध्याय मणि,आकाश उपाध्याय,पंकज त्यागी,डॉ.दिप्ति जोशी गुप्ता,अंकित रासूरी ,डॉ.बसुंधरा उपाध्याय,डॉ.सतीश कुमार पांडेय,त्रिवेणी एन,डॉ.संगीता शर्मा कुंद्र,डॉ.प्रियंका त्रिपाठी,डॉ.भगवती देवी,डॉ.के गौरी,डॉ.संजय रामन विधावाचस्पती,डॉ.सरावरण रजिनी,डॉ.गीता मालिनी,प्रवीण प्रणव,
डॉ.नुकफांटी जमातीया,जमुना देबनाथ,सरिका कालरा,चैतन्य चंदन ,अजय आनन्द ,धर्मराज कुमार,मनीष मधुकर ,डॉ.कुमार अरुण,अरुणा डोगरा शर्मा,डॉ.विजेता साव,सुब्रत घोष,डॉ.पंकज कुमार बोस,डॉ.अखिलेश कुमर शंखघर,वाइखोम चिखैगबा,आदि कई औरो को दिया गया