दिल्ली,
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वतंत्रता दिवस के मौके पर सेना को लेकर एक बड़ा ऐलान कर दिया है। पीएम नरेंद्र मोदी ने तीनों सेनाओं के बीच समन्वय और प्रभावी नेतृत्व के लिए चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ का नया पद बनाने की बात साफ तरह से कही। पीएम मोदी का कहना है कि हमारे देश में सैन्य व्यवस्था, सैन्य शक्ति और सैन्य संसाधन में सुधार पर कई वर्षों से ही चर्चा चली आ रही है। वहीं, कई कमीशनों की रिपोर्ट में भी यह बात कही गई है कि हमारी तीनों सेनाओं जल, थल, नभ के बीच समन्वय तो है, लेकिन आज जैसे दुनिया बदल रही है ऐसे में भारत को टुकड़ों में सोचने से बिल्कुल भी नहीं चलेगा।
यही नहीं, पीएम मोदी ने कहा कि हमारी पूरी सैन्य शक्ति को एकमुश्त, एक साथ आगे बढ़ने पर बहुत काम करना होगा। अब हम चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ यानी सीडीएस की व्यवस्था करेंगे। यूं तो हमारे देश में वर्ष 1999 के कारगिल युद्ध के बाद से ही चीफ ऑफ डिफेंस की मांग उठी मगर भारतीय सेना के रिटायर्ड ब्रिगेडियर और रक्षा विशेषज्ञ गुरमीत कंवल इस मुद्दे को 1996 से ही उठाते रहे हैं। उन्होंने वर्ष 2013 में इंस्टीट्यूट फॉर डिफेंस स्टडीज एंड एनालिसिस (IDSA) के लिए लिखे एक लेख में इस पद की जरूरत के पीछे कई तर्क दिए थे।
12 दिसंबर 2013 को लिखे अपने लेख में गुरमीत कंवल का कहना हैं कि आधुनिक दौर के युद्ध में सफलता संयुक्त सैन्य नीति और उसे एकीकृत रूप से धरातल पर उतारने पर टिकी होती है। चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ की नियुक्ति से युद्ध आदि संकटकालीन स्थितियों में निर्णायक फैसला लेने, प्रत्येक विकल्प को आगे बढ़ाने के फायदे और नुकसान के साथ सभी तरह के हालात का विश्लेषण करने में मदद मिलेगी। चीफ ऑफ डिफेंस मतभेदों को सुलझा सकता है, आदर्श स्थिति में सीडीएस एक समग्र कमांडर इन चीफ होना चाहिए। भारत के विस्तृत भूभाग, लंबी सीमाओं और तटरेखाओं को देखते हुए बाहरी और आंतरिक सुरक्षा चुनौतियों के प्रबंधन के लिए सीडीएस बहुत जरूरी है।
प्रिया सिन्हा