प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज फ्रांस, यूएई और बहरीन की यात्रा पर निकलने वाले हैं। 25 अगस्त को वह फ्रांस के शहर बियरित्स में G7 समिट में हिस्सा लेंगे। मोदी आज शाम फ्रांस की राजधानी पैरिस पहुंच जाएंगे। यह उनके दूसरे कार्यकाल का पहला यूरोप दौरा है। इससे भारत-फ्रांस के बीच संबंधों को गहराई का पता चलता है। दोनों देशों के पारस्परिक हितों का महत्व इसलिए भी बढ़ जाता है क्योंकि चीन हिंद महासागर में अपना दखल बढ़ाता जा रहा है। फ्रेंच प्रेजिडेंट इमैनुएल मैक्रों जब भारत दौरे पर आए थे तो उन्होंने मोदी के साथ हिंद महासागर की सुरक्षा को लेकर एक समझौते पर दस्तखत किया था। उन्होंने चीन के संदर्भ में कहा था, ‘प्रशांत महासागर के तरह ही हिंद महासागर भी आधिपत्य स्थल नहीं बन सकता है।’
श्रीलंका और नए राष्ट्रपति के चुनाव से पहले तक मालदीव जैसे महाद्वीपीय राष्ट्रों के साथ चीन के बढ़ते रक्षा एवं वाणिज्यिक संबंधों के कारण भारत संदेहों में घिरा रहता है। फ्रांस का हिंद महासागर के द्वीपसमूहों में अपने सैन्य अड्डे हैं। चीनी आधिपत्य के खिलाफ अमेरिकी अगुआई वाली इंडो-पसिफिक स्ट्रैटिजी पर विचार किया जाना भी एक महत्वपूर्ण विषय है।
स्टॉकहोम इंटरनैशनल पीस रिसर्च इंस्टिट्यूट के मुताबिक, रूस, इजरायल और अमेरिका के बाद फ्रांस भारत को रक्षा साजो-सामान आपूर्ति करने वाला चौथा सबसे बड़ा देश है। फ्रांस वर्ष 2000 से अब तक भारत को राफेल के अलावा स्कॉर्पियन सबमरीन्स, मिराज-2000 जेट्स, एसएम-39 एक्सोसेट ऐंटि-शिप मिसाइल, मेटिओ और मिका आदि की आपूर्ति कर चुका है या दोनों देशों के बीच इनकी डील फाइनल हो चुकी है।
फ्रांस महाराष्ट्र में प्रस्तावित जैतपुर परमाणु ऊर्जा परियोजना के लिए छह न्यूक्लियर रिऐक्टर्स बेचने को उत्सुक है। जैतपुर न्यूक्लियर पावर प्रॉजेक्ट का संचालन एक दशक से भी ज्यादा वक्त से लंबित है। भारत सरकार और फ्रांस डिजिटल टैक्स और अमेरिका की व्यापारिक एकपक्षीयता जैसे अन्य मुद्दों पर भी एकमत हैं।
प्रधानमंत्री मोदी के शुक्रवार को संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) पहुंचने के आसार हैं। मोदी को यूएई का सबसे बड़ा नागरिक सम्मान जायेद मेडल मिलना है। उनकी इस यात्रा से दोनों देशों के रिश्तों की गर्मजोशी महसूस की जा सकती है। अबू धाबी के क्राउन प्रिंस की 2017 में हुई भारत यात्रा से इंडिया-यूएआई के रिश्ते व्यापक सामरिक भागीदारी में तब्दील हो गए।
दोनों देशों ने साइबर स्पेस, रक्षा, समुद्री और सड़क परिवहन एवं ऊर्जा क्षेत्रों में भागीदारी के कई समझौते किए। सऊदी अरामको और भारत की सरकारी तेल कंपनियों के साथ-साथ अबू धाबी नैशनल ऑइल कंपनी (ऐडनॉक) भी महाराष्ट्र में प्रस्तावित 44 अरब डॉलर की लागत वाली तेल रिफाइनरी की भागीदार है। वहीं, यूएई की डीपी वर्ल्ड भारत के इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रॉजेक्ट्स में निवेश कर रही है। पीएम मोदी बहरीन और अमिरात में भारत का रूपे पेमेंट सिस्टम भी लॉन्च करने की डील कर सकते हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की इन यात्राओं से भारत को कश्मीर मुद्दे का अंतरराष्ट्रीयकरण करने के पाकिस्तानी प्रयासों को भी झटका लगेगा। फ्रांस स्पष्ट कर चुका है कि भारत-पाकिस्तान के बीच पैदा तनाव द्विपक्षीय मसला है और यूएई तो आर्टिकल 370 के मुद्दे को भारत का आंतरिक मामला बता चुका है। यूएई ने इस्लामिक सहयोग संगठन (ओआईसी) जैसे फोरमों पर भी भारत का समर्थन कर चुका है जो कश्मीर को ‘अधिकृत क्षेत्र’ मानता है।
कौशलेन्द्र पराशर