जानें डेंगू का इतिहास
डेंगू वायरस पर तैयार अमेरिकन सोसायटी फॉर माइक्रो बायोलॉजी की एक रिपोर्ट के अनुसार दूसरे विश्व युद्ध के बाद डेंगू सबसे तेजी से फैलने लगा था. लोगों ने माना कि युद्ध ने पर्यावरण पर बहुत असर डाला है. सभी तरह तमाम तरह के डेंगू फैलने लगे थे. तभी पहली बार किसी को रक्तश्रावी डेंगू हुआ था. सबसे पहले 1953 में फिलीपींस में बेहद भीषण डेंगू रिपोर्ट किया गया था. 1970 के आते-आते रक्तस्रावी डेंगू बुखार बच्चों में मौत की मुख्य वजह बन गया. ये प्रशांत महासागर के देशों के अलावा अमेरिका में भी होने लगा था. डेंगू शॉक सिन्ड्रोम का मरीज भी मिडिल और साउथ अमेरिका में 1981 में रिपोर्ट हुआ था. डेंगू एक समय ऐसा आया कि ये महामारी का रूप ले चुका था.
जानें, कैसे फैलता है डेंगू
चीते जैसी धारियों वाले मादा एडीज इजिप्टी मच्छर के काटने से शरीर में डेंगू फैलता है. ये मच्छर सिर्फ डेंगू वायरस का करियर यानी वाहक होता है. जब कोई मादा एडीज डेंगू वायरस से पीडि़त मरीज को काटता है तो वो मरीज के खून के साथ वायरस भी चूसता है. अब ये वायरस वो अगले व्यक्ति को काटते ही उसके खून में पहुंच जाता है. मच्छर काटने के 3 दिन से लेकर आठ- दस दिनों के बाद मरीज में डेंगू के लक्षण दिखने लगते हैं.
ये महीने होते हैं खतरनाक
डेंगू वायरस जुलाई से अक्टूबर में सबसे ज्यादा फैलता है. इसकी वजह है कि इस मौसम में मच्छरों के पनपने के लिए पूरा माहौल होता है. ये साफ पानी में आसानी से पनप जाते हैं. सबसे खास बात कि ये न बहुत ऊंचा उड़ते हैं और न रात में किसी को काटते हैं.
इतने तरह का होता है डेंगू बुखार
1: क्लासिकल या साधारण डेंगू
2. डेंगू हैमरेजिक बुखार
3. डेंगू शॉक सिंड्रोम