लाल किले की प्राचीर से पीएम नरेंद्र मोदी का देश के लोगों से सिंगल यूज प्लास्टिक छोड़ने का संकल्प लेने का आह्वान अब रंग लाने लगा है. पीएम मोदी की इस मुहिम को राज्य सरकारों के साथ केंद्र सरकार के भी कई मंत्रालयों ने अमल में लाना शुरू कर दिया है. इसी सिलसिले में सोमवार को केंद्रीय उपभोक्ता कार्य, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्री रामविलास पासवान ने प्लास्टिक उत्पादों के विकल्प पर चर्चा के लिए एक उच्च स्तरीय बैठक बुलाई थी.बैठक का मुख्य उद्देश्य यह था कि देश को कैसे सिंगल यूज प्लास्टिक से मुक्त किया जाए. इस बैठक में भारत सरकार के कई विभागों के प्रतिनिधियों के साथ देश के प्रमुख प्लास्टिक उत्पाद निर्माता, सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ प्लास्टिक इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी (CIPET) के प्रतिनिधि और इससे जुड़े अन्य विशेषज्ञों ने अपनी राय रखी. इस बैठक के बाद रामविलास पासवान ने 11 सितंबर तक प्लास्टिक उद्योग से जुड़े लोगों से अपने-अपने सुझाव देने को कहा है.केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान ने इस बैठक के बाद मीडिया से बात करते हुए कहा, ‘केंद्र सरकार खाद्य पदार्थों और पेयजल की पैकेजिंग के लिए प्लास्टिक का विकल्प खोजने का प्रयास कर रही है. इसी को लेकर मंत्रालय ने प्लास्टिक उद्योग से जुड़े प्रतिनिधियों और भारत सरकार के अन्य मंत्रालयों जैसे पर्यावरण, रेल मंत्रालय के प्रतिनिधियों को भी इस बैठक में बुलाया है. इस बैठक में प्लास्टिक के विकल्प के तौर पर क्या होगा इसके लिए राय मांगी गई है. मंत्रालय का प्रयास है कि प्लास्टिक के तौर पर जो भी विकल्प आएगा वह सस्ता, भरोसेमंद और पारदर्शी होना चाहिए.’हालांकि, रामविलास पासवान का कहना था कि प्लास्टिक पर पूरी तरह से प्रतिबंध ठोस विकल्प आने के बाद ही लागू किया जाएगा. साथ ही यह भी ख्याल रखा जाएगा कि पर्यावरण का नुकसान नए विकल्प के आने से न हो. उपभोक्ताओं पर भी अतिरिक्त बोझ न पड़े. उन्होंने बताया कि बैठक के दौरान एकल उपयोग प्लास्टिक के कई विकल्पों पर विचार किया गया और प्लास्टिक उद्योग जगत की राय जानी गई. कुछ लोगों ने विकल्प के तौर पर कागज के इस्तेमाल पर जोर दिया, लेकिन कुछ लोगों का कहना था कि कागज उचित विकल्प नहीं हो सकता है. कागज को तरल पदार्थों की पैकेजिंग के रुप में इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है. अगर कागज का इस्तेमाल किया भी जाता है तो प्लास्टिक की कुछ मात्रा उसमें मिक्स करनी पड़ेगी. खाद्य पदार्थों और पेयजल में एकाएक प्लास्टिक का उपयोग बंद नहीं किया जा सकता है. इसके बंद करने के निर्णय को धीरे-धीरे लागू किया जाएगा.लेकिन, इस इस बैठक में आए प्लास्टिक उद्योग जगत से जुड़े लोगों का कहना है कि इससे प्लास्टिक उद्योग जगत को काफी नुकसान पहुंचेगा. सरकार जल्दबाजी में प्लास्टिक पर बैन करने जा रही है, लेकिन इससे रोजगार तो जाएगा ही साथ ही लोगों को भी काफी परेशानियों का सामना करना पड़ेगा. नेच्यूरल मिनिरल वाटर पैकेजिंग से जुड़े एक उद्योगपति ने न्यूज 18 हिंदी के साथ बातचीत में कहा, ‘देखिए पानी का बोतल सिंगल यूज प्लास्टिक नहीं है. यह पूरी तरह से रीसाइक्लेबल प्लास्टिक है. भारत में भी सभी लोग इसको रीसाइक्लिंग कर रहे हैं. देखिए भारत में पानी की इंडस्ट्री 30 हजार करोड़ रुपए की है और साढ़े 7 लाख करोड़ की बोतल इंडस्ट्री है. सबसे खास बात यह है कि साढ़े सात लाख लोग इस इंडस्ट्री में नौकरी कर रहे हैं. अगर सभी को मिला दें तो इस इंडस्ट्री के बंद होने से सात करोड़ लोगों के जिंदगी पर असर पड़ेगा. इसलिए सरकार से मेरी मांग है कि यूरोप में जिस तरह से सिंगल यूज बोटल को रीसाइक्लिंग में छूट दी गई वैसा ही इंडिया में भी सरकार छूट दे.’
कौशलेन्द्र