श्रीनगर
जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 और 35A को हटाए जाने के बाद पहली बार स्थानीय निकायों के चुनाव होने जा रहे हैं। दिलचस्प बात यह है कि इन चुनावों में नैशनल कॉन्फ्रेंस (एनसी) और पीपल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) के स्थानीय प्रतिनिधि भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) का समर्थन करने का मन बना रहे हैं। कहा जा रहा है कि एनसी और पीडीपी के पंचायत सदस्य आगामी ब्लॉक डिवेलपमेंट काउसिंल (बीडीसी) चुनाव में बीजेपी का समर्थन करने वाले हैं।
रअसल, दोनों ही पार्टियों के आला नेता, एनसी के फारूक अब्दुल्ला और उमर अब्दुल्ला और पीडीपी की महबूबा मुफ्ती, अभी बीते 5 अगस्त से ही नजरबंद हैं। ऐसे में इनके पंचायत प्रतिनिधियों को लगता है कि वे अपने शीर्ष नेताओं की अनुपस्थिति में जमीनी स्तर पर अपना प्रभाव फिर से स्थापित कर पाएंगे। खबर है कि नैशनल कॉन्फ्रेंस और पीडीपी के साथ-साथ कांग्रेस के भी कुछ पंचायत सदस्यों ने बीजेपी में शामिल होने तक का फैसला कर लिया है ताकि वे बीडीसी के चेयरपर्सन के चुनाव में भगवा पार्टी के प्रत्याशी को अपना समर्थन दे सके। यही नहीं बीजेपी भी अन्य दलों के प्रभावशाली पंचायत सदस्यों को साथ लाने और बीडीसी चुनाव में अपने प्रत्याशी को समर्थन देने के लिए संपर्क कर रही है।
एनसी, पीडीपी, कांग्रेस और अन्य राजनीतिक दलों के उम्मीदवार अपने शीर्ष पार्टी नेताओं से मुलाकात नहीं कर पा रहे हैं। उमर अब्दुल्ला, महबूबा मुफ्ती समेत घाटी के कई बड़े नेता 5 अगस्त से नजरबंद हैं। इसी दिन केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 के ज्यादातर प्रावधानों को खत्म करने और राज्य को दो भागों में बांटने की घोषणा की थी।
कौशलेन्द्र