नई दिल्ली
दिल्ली में बीते 100 सालों के दुर्गा पूजा के इतिहास में शायद यह पहला मौका था, जब मूर्तियों का विसर्जन यमुना में नहीं हुआ। शहर के लगभग सभी चर्चित घाटों पर पुलिस ने बैरिकेडिंग की व्यवस्था की थी और यमुना में एक भी मूर्ति का विसर्जन नहीं हुआ। यमुना की तरफ ट्रकों, कारों और बाइकों से मूर्ति कों सेमें हिस्सा लेने आने वाले लोगों को पुलिस ने घाटों से बैरंग लौटा दिया। इसके बाद सभी ने दिल्ली सरकार की ओर से बनाए गए अस्थायी तालाबों में प्रतिमाओं को विसर्जन किया।
यमुना के तमाम घाटों पर लगभग सभी गेटों पर पुलिस का पहरा था। यमुना की तरफ जो भी वाहन आ रहे थे, पुलिस ने उन्हें समझाकर वापस किया कि वे अपने निकट में बने अस्थायी तालाब में ही प्रतिमा का विसर्जन करें। बीते सालों में दुर्गा पूजा समितियों के लिए घाटों में विसर्जन की व्यवस्था की जाती थी, लेकिन इस साल सभी से ईको-फ्रेंडली विसर्जन की अपील की गई।
हजारों लोगों को पुलिस ने घाटों से लौटाया
प्रशासन और पुलिस की ओर से अपील के बाद भी ऐसे तमाम लोग थे, जो यमुना घाट पर विसर्जन के लिए जाना चाहते थे। हालांकि पुलिस ने उन्हें किसी तरह से दूर किया। इनमें से ज्यादातर लोगों का कहना था कि उन्हें दिल्ली सरकार के ईको-फ्रेंडली मूर्ति विसर्जन के प्लान की जानकारी नहीं है। आईटीओ घाट पर तैनात हेड कॉन्स्टेबल विनोद कुमार ने बताया, ‘पिछली रात से हम पट्रोलिंग कर रहे हैं ताकि यमुना में विसर्जन के लिए कोई न जाए। करीब 1 हजार लोगों को हमने वापस किया है। हमारे पास ऐसे स्पॉट्स की लिस्ट थी, जहां विसर्जन किया जा सकता था। ज्यादातर लोगों ने हमारे साथ सहयोग किया।’
कौशलेन्द्र