दिल्ली,
कांग्रेस में संभावित अध्यक्ष कीर्ति आज़ाद के खिलाफ प्रदेश के नेताओं ने हस्ताक्षर अभियान शुरू कर दिया है। उन्होंने कीर्ति को बाहरी नेता तो बताया ही है, साथ ही कह रहे हैं कि उन्हें कांग्रेस नीतियों की समझ नहीं है। इस मसले पर आज राहुल गांधी ने एक बार फिर दिल्ली के कुछ नेताओं को बुलाया है। अध्यक्ष के चयन की देरी के चलते पार्टी नेताओं व कार्यकर्ताओं में बेचैनी बढ़ती नजर आ रही है। अध्यक्ष की नियुक्ति का मसला कुछ दिनों के लिए लटकता नजर आ रहा है।
प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष का पद 20 जुलाई से खाली पड़ा है। निवर्तमान अध्यक्ष शीला दीक्षित की मौत के बाद आलाकमान ने इस पद को अभी तक नहीं भरा है, जबकि विधानसभा के चुनाव सिर पर हैं और उसकी घोषणा कभी भी हो सकती है। लंबी कवायद के बाद पार्टी नेताओं ने बीजेपी से कांग्रेस में आए कीर्ति आजाद के नाम पर मुहर लगा दी थी। माना गया था कि वह पूर्वांचल के नेता हैं, दिल्ली से बीजेपी के विधायक रह चुके हैं, इसके अलावा बिहार से तीन बार सांसद भी रहे हैं। लेकिन उनकी यही ‘खूबियां’ दिल्ली के कांग्रेसी नेताओं को चुभ गई और उन्होंने कीर्ति की ताजपोशी के पहले ही उनके खिलाफ मोर्चा खोल दिया। उन्हें बाहरी बताकर प्रदेश के नेताओं को आपस में एकजुट करने की कवायद दिल्ली में शुरू हो चुकी है।
सूत्र बताते हैं कि दिल्ली के एक पूर्व अध्यक्ष की अगुवाई में कीर्ति के खिलाफ हस्ताक्षर अभियान शुरू किया गया है। इस अभियान में पार्टी के वरिष्ठ नेताओं, पूर्व विधायकों, पार्षदों सहित जिलाध्यक्षों के हस्ताक्षर करवाए जा रहे हैं। इस पत्र को पार्टी के दिल्ली प्रभारी पीसी चाको के माध्यम से पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी तक पहुंचाया जाएगा। इस मसले पर सुबह सांध्य टाइम्स ने कुछ नेताओं से बात की। उन्होंने माना कि हस्ताक्षर करवाने के लिए उनके पास मोबाइल फोन आया था। हस्ताक्षर किए या नहीं, इस पर नेताओं ने किसी प्रकार के कमेंट से इनकार कर दिया। असल में कहा जा रहा है कि कीर्ति आजाद अगर पूर्वांचल वोटों को साधने के लिए लाए जा रहे हैं तो पार्टी में उनसे भी वरिष्ठ नेता मौजूद हैं। इसके अलावा कीर्ति आजाद ने विधानसभा या लोकसभा के जीते हैं, वह बीजेपी से जीते हैं। ऐसे में कैसे माना जाए कि उन्हें कांग्रेस की नीतियों व सिस्टम की जानकारी होगी। यह हस्ताक्षर अभियान जारी है।
सूत्र बताते हैं कि इस मसले को लेकर प्रदेश पार्टी नेता राहुल गांधी ने आज फिर से दिल्ली के कुछ नेताओं को बातचीत के लिए बुलाया है, ताकि प्रदेश अध्यक्ष के मसले को निपटाया जा सके। सूत्र बताते हैं कि संभावित अध्यक्ष के खिलाफ हस्ताक्षर अभियान चलते ही प्रदेश अध्यक्ष पद के दावेदार नेता फिर से एक्टिव हो गए हैं। उनका भी मानना है कि अगर किसी बाहरी नेता को अध्यक्ष बनाया गया तो दिल्ली में बवाल की स्थिति पैदा हो सकती है और नेता-कार्यकर्ता विरोध पर भी उतर सकते हैं। वैसे कहा यह भी जा रहा है कि प्रदेश के नेता एकजुट नहीं हो पा रहे हैं, इसके चलते ही पार्टी को अध्यक्ष पद के लिए बाहर के नेता का चयन करना पड़ा। माना जा रहा है कि इस विवाद के चलते अध्यक्ष की नियुक्ति कुछ दिनों के लिए टल गई है।
कास;कौशलेन्द्र