निखिल दुबे
प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई ने शुक्रवार को केंद्र को एक पत्र भेजकर उच्चतम न्यायालय में अपने बाद वरिष्ठतम न्यायाधीश एस ए बोबडे को अपना उत्तराधिकारी बनाने की सिफारिश की.आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि न्यायमूर्ति गोगोई ने विधि एवं न्याय मंत्रालय को पत्र लिखकर न्यायमूर्ति बोबडे को अगला प्रधान न्यायाधीश बनाने की सिफारिश की है.न्यायमूर्ति गोगोई ने तीन अक्टूबर 2018 को देश के 46वें प्रधान न्यायाधीश के तौर पर शपथ ग्रहण की थी. वह 17 नवंबर को सेवानिवृत्त होंगे.आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि प्रधान न्यायाधीश ने परम्परा के अनुसार अपने उत्तराधिकारी के रूप में अपने बाद अगले वरिष्ठतम न्यायाधीश के नाम की सिफारिश की है.बता दें कि CJI गोगोई अयोध्या मामले की सुनवाई कर रहे हैं। मामले की सुनवाई पूरी हो गई है और 7 नवंबर तक फैसला आने की उम्मीद जताई गई है।
चीफ जस्टिस ने शुक्रवार को केंद्र को एक पत्र भेजा जिसमें उन्होंने अगले चीफ जस्टिस के लिए जस्टिस बोबडे के नाम का प्रस्ताव पेश किया है। जस्टिस बोबडे सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठतम जस्टिस हैं। आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि जस्टिस गोगोई ने कानून मंत्रालय को पत्र लिखा और अगले चीफ जस्टिस के लिए जस्टिस बोबडे का नाम दिया है। जस्टिस गोगोई ने भारत के 46वें चीफ जस्टिस के तौर पर 3 अक्टूबर 2018 को शपथ ली थी और 17 नवंबर 2019 को अपने पद से रिटायर होने वाले है।शीर्ष अदालत की परंपरा के मुताबिक, उन्होंने रिटायरमेंट से एक महीना पहले शुक्रवार को कानून मंत्रालय को पत्र लिखकर जस्टिस एसए बोबडे (63 साल) को अगला मुख्य न्यायाधीश बनाने की सिफारिश की। जस्टिस बोबडे सुप्रीम कोर्ट के दूसरे सबसे वरिष्ठ जज हैं।वे 23 अप्रैल 2021 को रिटायर होंगे।
जस्टिस दीपक मिश्रा के रिटायरमेंट के बाद जस्टिस गोगोई ने 3 अक्टूबर, 2018 को 46वें चीफ जस्टिस के रूप में शपथ ली थी। उनका कार्यकाल 13 महीने 15 दिन का है। अगर सरकार की ओर से जस्टिस बोबडे के नाम पर मुहर लगती है तो 47वें सीजेआई के तौर पर 18 नवंबर को पद संभाल सकते हैं। नए चीफ जस्टिस की नियुक्ति की प्रक्रिया के तहत मौजूदा सीजेआई की सिफारिश के बाद कानून मंत्री इसे प्रधानमंत्री के सामने रखते हैं।जो इस मामले में राष्ट्रपति को सलाह देते हैं।
जस्टिस बोबडे मप्र हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रह चुके हैं
जस्टिस बोबडे का जन्म 24 अप्रैल 1956 में महाराष्ट्र के नागपुर में हुआ था। उन्होंने नागपुर यूनिवर्सिटी से ही कानून की डिग्री ली। इसके बाद 2000 में बॉम्बे हाइकोर्ट के अतिरिक्त न्यायाधीश नियुक्त हुए थे। फिर 2012 में मध्यप्रदेश हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश का पद संभाला था। इसके बाद अप्रैल 2013 में उन्हें सुप्रीम कोर्ट में नियुक्ति दी गई। जस्टिस बोबडे सीजेआई गोगोई के खिलाफ यौन उत्पीड़न के आरोपों की जांच के लिए बनी समिति में शामिल थे।