कौशलेन्द्र पाण्डेय, पोलिटिकल संवाददाता
पंकज त्रिपाठी के लिए यह साल काफी व्यस्तम साल चल रहा है। उनके एक के बाद एक प्रोजेक्ट आते रहे और कुछ तो शूटिंग में व्यस्त रहे। उन्हें जैसे ही दीपावली पर थोड़ा-सा वक्त मिला, उन्होंने अपने माता-पिता के साथ बिहार स्थित गोपालगंज में दीपावली मनाने का प्लान बनाया। काफी समय से फिल्म ‘83’, ‘कारगिल गर्ल’, ‘पंगा’, हॉलीवुड फिल्म ‘ढाका’, वेब सीरीज ‘सेक्रेड गेम्स’ आदि प्रोजेक्ट में बिजी होने के कारण पंकज अपने माता-पिता से ऐसे वक्त में भी नहीं मिल पाए थे। बॉलीवुड के चर्चित अभिनेता पंकज त्रिपाठी बिहार के गोपालगंज गांव बरौली प्रखंड बेलसंड गांव के रहने वाले हैं पंकज त्रिपाठी इस बार छठ पूजा में अपने घर नहीं पहुंच पा रहे। पंकज त्रिपाठी ने छठ पूजा गांव में मनाने के बारे में बताया पंकज त्रिपाठी ने कहा कुछ नहीं भूले हैं सब याद है हमें दशहरा खत्म होते ही, मन मिजाज छठ जैसा होने लगता था ।हवाओं में उत्सव की खुशी गांव घर में सफाई अभियान दिवाली की लिपाई, पुताई, कुम्हार के घर दौड़ दौड़ के जाना दिया लाना, कोसी लाना फिर दिवाली के दीयरी जलाना फिर छठ की तैयारी नया कपड़ा सिलवाने का उत्साह टेलर के पास बाबूजी आ भैया के साथ जाना और यह सोचना की जिलेबी कब खाएंगे सच कह रहा हूं कपड़ा सिलवा ना तो एक कारण था। ही माधोपुर बाजार (गोपालगंज) जाकर मिठाई खाने का भी इंतजार रहता था। छठ के दिन ना का कुर्ता पहनना घाट पर पूरे ठाठ से जाना है। घाट के बात तो पूछिए ही मत गज्बे माहौल सच कहिए तो घाट पर 15 दिन 20 दिन पहले से ही माहौल बना रहता था, गांव भर का लड़का लोग अपना-अपना घाट सकता था, हमहू घाट बनाते थे ।दौड़ दौड़ के नदी में से पानी लाते थे घाट बनाने का एक अलग मजा होता था। हरेंद्र, राजन, मनोज सब समस्या मिलकर हम लोग सजाते थे। केला के थम काट कर लाते थे, तिरंगा साटते थे ,और जब शाम होते मरकरी बरता था तो मन ऐसे खुशी से भर जाता था कि का कहें। इस बार पंकज त्रिपाठी छठ पूजा में अपने घर नहीं आ पा रहे हैं।
छठ प्रकृति का पर्व है, यह बात मुझे बड़ा होने पर पता चला. छठ मे हम एक बात महसूस कइनी की हमार माँ हमरा चाचा ला भी गीत गावत रहली, जबकि हमनी के चाचा के परिवार से न पटत रहे. छठी माँ से माई हमार सबके लिये धन मांगती थी. सबका गीत मे नाम लेती थी.