लखनऊ,
समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और पूर्व मुख्ममंत्री अखिलेश यादव ने यूपीपीसीएल पीएफ घोटाले के लिए सीएम योगी को जिम्मेदार ठहराया है। अखिलेश ने कहा है कि पूरे मामले की जांच हाइकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट के सिटिंग जज से करायी जानी चाहिए। उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि सरकार विपक्ष के सवालों से इस कदर घबरा गई है कि उसने रातों रात इस मामले की जांच सीबीआई से कराने की सिफारिश कर दी।अखिलेश ने कहा सीएम मेदांता हॉस्पिटल का उद्घाटन करने जा रहे है उससे पहले उन्हें इस्तीफा दे देना चाहिए। रातों रात सीबीआई जांच की सिफारिश करना बताता है कि सरकार को विपक्ष के सवाल पूछने का डर है। सरकार घबराई हुई है सच्चाई को छिपाना चाहती है। सीएम इतने कमजोर हैं कि चाहकर भी एक मंत्री को हटा नहीं सकते हैं।
उन्होंने कहा कि बिजली विभाग एक महत्वपूर्ण विभाग है जहां कर्मचारियों ने मेहनत करके विभाग को खड़ा किया है। उसमें इतना बड़ा घोटाला हुआ है। डीएचएफएल को कब भुगतान हुआ वो एफआईआर की कॉपी में साफतौर पर लिखा गया है। उस समय यूपी में सपा सरकार नहीं थी। हमारी सरकार के समय डीएचएफएल को कोई भुगतान नहीं हुआ है ।अखिलेश ने कहा कि एफआईआर की कॉपी में सब कुछ साफ शब्दों में लिखा है। भुगतान का दिन लिखा है, समाजवादी पार्टी सरकार में कोई भी प्रोविडेंट फंड का पैसा डीएचएफएल को नहीं दिया गया। जांच होगी तो सच्चाई सामने आएगी। इसकी जांच माननीय सिटिंग जज ,जो भी हों हाईकोर्ट या सुप्रीमकोर्ट किसी भी सिटिंग जज जांच करवाई जाए।
इसमें नामजद पॉवर कार्पोरेशन के तत्कालीन निदेशक (वित्त) सुधांशु द्विवेदी तथा तत्कालीन सचिव (ट्रस्ट) प्रवीण कुमार गुप्ता को गिरफ्तार करने के बाद जेल भेजा जा चुका है। प्रवीण गुप्ता को आगरा और सुधांशु द्विवेदी को लखनऊ से गिरफ्तार किया गया था।उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन के एक लाख से अधिक कर्मचारियों की सामान्य भविष्य निधि (जीपीएफ)और अंशदायी भविष्य निधि (सीपीएफ) के 2267.90 करोड़ रुपये दीवान हाउसिंग फाइनेंस लिमिटेड (डीएचएफएल) में फंस गए हैं। कर्मचारियों और विपक्षी नेताओं ने यह मुद्दा उठाया तो सरकार ने शनिवार को कई कार्रवाइयां कीं। मुख्यमंत्री ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए इसके लिए जिम्मेदार लोगों की गिरफ्तारी के निर्देश दिए थे।
निखिल दुबे