पटना, २४ सितम्बर। ‘राजनीति’ लड़खड़ाने लगी है। क्योंकि अब इसे साहित्य का संबल नहीं मिल रहा। मिले भी कैसे? आज के राजनेता साहित्य से उतनी ही दूरी बनाते जा रहे हैं, जैसे ‘अंधेर... Read more
पटना, २४ सितम्बर। ‘राजनीति’ लड़खड़ाने लगी है। क्योंकि अब इसे साहित्य का संबल नहीं मिल रहा। मिले भी कैसे? आज के राजनेता साहित्य से उतनी ही दूरी बनाते जा रहे हैं, जैसे ‘अंधेर... Read more
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