भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने राजीव गांधी फाउंडेशन को घेरे मे ले लिया और पूछ डाले कांग्रेस से 10 तीखे सवाल।
बता दें कि नड्डा ने यहां कहा कि –
• ‘मैं सोनिया जी को यह कहना चाहता हूं कि कोरोना के कारण या चीन की स्थिति के कारण मूल प्रश्नों से बचने का प्रयास ना करें। भारत की फौज देश की और हमारी सीमाओं की रक्षा करने में सक्षम है और प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में देश सुरक्षित है।’
• भाजपा अध्यक्ष ने आगे कहा कि – ‘130 करोड़ देशवासी जानना चाहता है कि कांग्रेस ने सत्ता में रहते हुए क्या-क्या काम किया और किस तरह से आपने देश के साथ विश्वासघात किया है।’
• ध्यान रहे कि कुछ दिन पहले ट्वीट करके राजीव गांधी फाउंडेशन पर प्रश्न उठाए गए थे और अब पी. चिदंबरम कहते हैं कि फाउंडेशन पैसे लौटा देगा। देश के पूर्व वित्त मंत्री जो खुद बेल पर हों, उसके द्वारा ये स्वीकारना होगा कि देश के अहित में फाउंडेशन ने नियम की अवहेलना करते हुए फंड लिया है।
• यही हीं, पीएम नेशनल रिलीफ फंड जो लोगों की सेवा और उनको राहत पहुंचाने के लिए है, उससे 2005-08 तक राजीव गांधी फाउंडेशन को पैसा क्यों गया? हमारे देश की जनता इसका जवाब जानना चाहती है।
• राजीव गांधी फाउंडेशन को 2005 से 2009 तक चीनी दूतावास से दान मिला है और इसे 2006 से 2009 तक हर साल लक्समबर्ग के टैक्स हैवन्स से दान मिलता है। यह क्या इंगित करता है? गहरे वाणिज्यिक हितों वाली एनजीओ और कंपनियों ने फाउंडेशन को पैसे दान किए?
• और तो और व्यक्तिगत विश्वास में विदेशी शक्तियों से धन स्वीकार करना राष्ट्रीय हित का बलिदान है। देश जानना चाहता है कि राजीव गांधी फाउंडेशन और चीन सरकार के बीच क्या हुआ?
• दूसरी ओर भारत के लोग यह भी जानना चाहते हैं कि सीएजी ऑडिटिंग के लिए राजीव गांधी फाउंडेशन के अकाउंट्स ने मना क्यों किया? आरटीआई नींव पर लागू क्यों नहीं हुआ? राजीव गांधी फॉउंडेशन का ऑडिटर कौन है?
• साथ ही मेहुल चोकसी से आपने राजीव गांधी फाउंडेशन में पैसा क्यों लिया और आपने मेहुल चोकसी को लोन क्यों दिया? देश जानना चाहता है कि मेहुल चोकसी से राजीव गांधी फाउंडेशन का क्या संबंध है? और आपने उसको लोन देने में किस-किस प्रकार से मदद की है यह देश जानना चाहता है।
• कांग्रेस और कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चाइना के बीच सटीक संबंध क्या है? दोनों के बीच टैक्टिक अंडरस्टैंडिंग क्या है? हस्ताक्षरित और अहस्ताक्षरित एमओयू क्या है? देश जानना चाहता है।
• आरसीईपी का हिस्सा बनने की क्या जरूरत थी? चीन के साथ भारत का व्यापार घाटा 1.1 बिलियन अमरीकी डॉलर से बढ़कर 36.2 बिलियन अमरीकी डॉलर कैसे हो गया? आरसीईपी भारतीय किसानों, एमएसएमई क्षेत्र और कृषि के हित में नहीं है और इस वजह से पीएम मोदी इसमें शामिल नहीं हुए।
देखना यह दिलचस्प होगा कि सोनिया गांधी इन 10 सवालों का क्या और कब जवाब देती हैं।
प्रिया की रिपोर्ट.