कौशलेन्द्र पाराशर / राजमाता विजयराजे सिंधिया के राजकुमार पोते और माधवराव सिंधिया के राज दुलारे बेटे ज्योतिराज सिंधिया ने मध्यप्रदेश में कांग्रेस को सत्ता से बेदखल करते हुए मोदी सरकार में नागरिक उड्डयन मंत्री बने. कभी इनके पिताजी माधवराव सिंधिया ने भी कांग्रेस में विद्रोह किया था लेकिन उनको वो सफलता प्राप्त नहीं हो पाई थी. ज्योतिराज सिंधिया ने देश को दिखा दिया अगर आपका व्यवहार एक सफल नेता की तरह है सैकड़ों विधायक आपके लीये सत्ता को छोड़ देंगे. एक जनवरी, 1971 को जन्मे और अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त हार्वर्ड और स्टैनफोर्ड संस्थानों से शिक्षित सिंधिया साल 2002 में एक उपचुनाव जीत कर गुना से पहली बार सांसद बने थे. उनके पिता माधवराव सिंधिया की विमान दुर्घटना में मृत्यु के बाद यह उपचुनाव कराने की जरूरत पड़ी थी. उस वक्त वह 31 साल के थे. आगे चल कर वह 2007 में कांग्रेस नीत यूपीए सरकार में संचार राज्य मंत्री बने. साल 2009 में वह वाणिज्य एवं उद्योग राज्य मंत्री बने और 2012 में उन्हें यूपीए-2 में ऊर्जा राज्यमंत्री नियुक्त किया गया.कभी कांग्रेस के कद्दावार नेता रहे सिंधिया ने 10 मार्च 2020 को कांग्रेस छोड़ी थी और 11 मार्च 2020 को बीजेपी में शामिल हुए थे. उनके साथ ही 22 कांग्रेस विधायकों ने भी इस्तीफा दे दिया था, जिससे मध्यप्रदेश में कमलनाथ के नेतृत्व वाली 15 महीने पुरानी कांग्रेस सरकार गिर गई थी और 23 मार्च 2020 को बीजेपी के शिवराज सिंह चौहान चौथी बार प्रदेश के मुख्यमंत्री बने. कमलनाथ सरकार गिरने के कुछ दिन पहले टीकमगढ़ में एक सभा में सिंधिया ने चेतावनी दी थी कि यदि कमलनाथ के नेतृत्व वाली तत्कालीन सरकार ने पार्टी के घोषणा पत्र के वादे पूरे नहीं किये तो वह सड़क पर उतर जायेगें. इस चेतावनी पर कमलनाथ ने कहा था, तो उतर जायें सड़क पर. इसके बाद सिंधिया कांग्रेस छोड़ बीजेपी में शामिल हो गए थे. इसके बाद सिंधिया मध्यप्रदेश की राज्यसभा सीट से बीजेपी के टिकट पर सांसद बने और अब बीजेपी नीत केन्द्रीय सरकार में मंत्री बन गए हैं.