सियाराम मिश्रा की रिपोर्ट वाराणसी से / दस्त से बचाव एवं प्रबंधन को लेकर इस वर्ष सघन दस्त नियंत्रण पखवाड़ा (आईडीसीएफ) दो अगस्त से मनाया जा रहा है, जो 14 अगस्त तक चलेगा। इस दौरान आशा-आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं घर-घर जाकर ओआरएस व जिंक की गोली के पैकेट वितरित करेंगी। साथ ही दस्त से बचाव एवं प्रबंधन के बारे में भी लोगों को जागरुक करेंगी। बाल्यावस्था में दस्त के दौरान ओआरएस एवं जिंक के उपयोग के प्रति जन-जागरुकता को बढ़ावा देना है। सीएमओ डा. वीबी सिंह ने बताया कि सभी ब्लॉक व शहरी क्षेत्र के प्रभारी चिकित्सा अधिकारियों को निर्देश दिया गया है कि वे एक टीम बनाकर लगातार जागरुकता कार्यक्रम संचालित करें, ताकि डायरिया से होने वाले बच्चों की मौतों को रोका जा सके। इसके लिए आशाएं अपने-अपने क्षेत्र में बच्चों को चिन्हित करने का काम करेंगी और घर-घर जाकर ओआरएस बनाने की विधि भी सिखाएंगी। नोडल अधिकारी एवं एसीएमओ डा. एके मौर्या ने बताया कि वर्तमान में प्रदेश की बालमृत्यु दर 47 प्रति 1000 जीवित जन्म में है। दस्त रोग मृत्यु के प्रमुख कारणों में सबसे अधिक है, जिसका उपचार ओआरएस एवं ज़िंक की गोली मात्र से किया जा सकता है और बाल मृत्यु दर में कमी लाई जा सकती है। इसके प्रमुख कारणों में दूषित पेयजल, स्वच्छता एवं शौचालय का अभाव तथा पांच वर्ष तक के बच्चों का कुपोषित होना है।जिला सामुदायिक प्रक्रिया प्रबंधन (डीसीपीएम) रमेश कुमार वर्मा के मुताबिक इस अभियान के तहत पांच वर्ष से कम उम्र के बच्चों व दस्त रोग से ग्रसित बच्चों, कुपोषित बच्चों, अतिसंवेदनशील क्षेत्र जैसे शहरी मलिन बस्ती, दूर-दराज के क्षेत्र, खानाबदोश, निर्माण कार्य में लगे व ईंट-भट्टे के काम करने वाले मजदूर परिवार, दस्त रोग से ग्रसित क्षेत्र, छोटे गांव व कस्बों के बच्चों को लक्षित किया गया है।इन लक्षणाें के दिखने पर फौरन डाक्टर से करें संपर्क. पानी जैसा लगातार मल का होना। बार-बार उल्टी होना। अत्यधिक प्यास लगना।पानी न पी पाना।बुखार हो।मल में खून आ रहा हो।