सीनियर एडिटर -जितेन्द्र कुमार सिन्हा, पटना, 5 अगस्त ::जीकेसी (ग्लोबल कायस्थ कॉन्फ्रेंस) कला-संस्कृति प्रकोष्ठ के सौजन्य से महान पार्श्वगायक हर दिल अजीज किशोर कुमार की जयंती के अवसर पर 04 अगस्त (बुधवार) को संगीमय कार्यक्रम ‘गाता रहे मेरा दिल’ का आयोजन किया गया, जिसमें कलाकारों ने एक से एक गीत गाकर समां बांध दिया।संगीतमय कार्यक्रम ‘गाता रहे मेरा दिल’ का संयोजन जीकेसी बिहार की प्रदेश अध्यक्ष डा. नम्रता आनंद, जीकेसी कला- संस्कृति प्रकोष्ठ के वरिष्ठ राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रेम कुमार, कला- संस्कृति प्रकोष्ठ के राष्ट्रीय सचिव अनुराग समरूप और कला- संस्कृति प्रकोष्ठ बिहार के उपाध्यक्ष दिवाकर कुमार वर्मा और उनका दल ने भाग लिया। कार्यक्रम का संचालन जीकेसी बिहार कला- संस्कृति प्रकोष्ठ की कार्यवाहक अध्यक्ष संपन्नता वरूण ने की।कार्यक्रम की शुभारंभ किशोर कुमार की तस्वीर पर माल्यार्पण और पुष्प अर्पित कर तथा केक काटकर किशोर कुमार का जन्मदिन मनाया गया। जीकेसी कला-संस्कृति प्रकोष्ठ के संरक्षक विनय कुमार सिन्हा ने सरस्वती वंदना कर कार्यक्रम का शुरुआत किया।जीकेसी के ग्लोबल अध्यक्ष राजीव रंजन प्रसाद ने बताया कि किशोर कुमार को भारतीय सिनेमा जगत में सर्वाधिक लोकप्रिय पार्श्वगायकों के तौर पर शुमार किया जाता है। उनकी आवाज ने संगीत की सीमाएं तोड़ी, अल्फाजों से दर्शन और सुर को जोड़ा, अपने संगीत को हर दिल में बसा दिया, एक ऐसा फनकार, जिसके जीवन को कुछ शब्दों में बयां करना बहुत मुश्किल है। किशोर कुमार की आवाज में जादू था। वह किभी गाने को अपनी आवाज देते थे वह यादगार बन जाता था। गायन की दुनिया में परचम लहराने वाले किशोर दा भले ही हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उनकी यादें आज भी सबके दिलों में जिंदा हैं। उनकी मधुर आवाज उनके प्रशंसकों के दिल को मंत्रमुग्ध कर देती है। किशोर कुमार, मुकेश चंद्र माथुर, लता मंगेश्कर, आशा भोंसले, हेमंत कुमार, मोहम्मद रफी मन्ना डे जैसे कलाकार सदियों में एक बार ही जन्म लेते हैं। अपने सदाबहार गीतों की वजह से किशोर कुमार ने लगातार चार दशक तक श्रोताओं के दिल पर राज किया।किशोर कुमार की कला और साधना को शत: शत नमन।डा. नम्रता आनंद ने कहा कि किशोर कुमार बहुआयामी प्रतिभा के धनी थे। किशोर कुमार महान पार्श्व गायक, अभिनेता, गीतकार, संगीतकार और निर्देशक थे। गायन के साथ साथ उनमें जबरदस्त अभिनय शैली भी थी। किशोर कुमार को भारतीय संगीत उद्योग के सबसे सफल और प्रसिद्ध गायकों में से एक माना जाता है। सुरों के बादशाह रहे किशोर कुमार की आवाज आज भी दिल को छू लेते हैं। किशोर कुमार के गीत कानों में पड़ते ही व्यक्ति खुद-ब खुद गाने को मजबूर हो जाता है।किशोर कुमार के योडेल्लिंग अंदाज में गाये सारे गीत आज भी ताजे लगते हैं।प्रेम कुमार ने बताया कि भारतीय सिनेमा जगत का एक ऐसा स्तम्भ किशोर कुमार जो आज भी संगीत प्रेमियों के दिल पर अमिट छाप बनाये हुए है, जिनकी सुरीली अद्वितीय आवाज हर रोज दीवाना बनाती है। मिजाज मनमौजी, अंदाज मस्ताना और सुर के शहंशाह किशोर कुमार में हमें गायक, संगीतकार, अभिनेता, निर्माता, जैसे रूप हमें देखने को मिला है। संगीत की बिना तालीम हासिल किए जिस तरह से उन्होंने फिल्म संगीत जगत में अपना स्थान बनाया वह तारीफ के काबिल है। अपनी मधुर आवाज में गाए गीतों के जरिए किशोर कुमार आज भी हमारे आसपास मौजूद हैं। पुरानी पीढ़ी के साथ-साथ नई पीढ़ी भी उनकी आवाज की दीवानी है।दिवाकर वर्मा ने कहा फिल्म जगत किशोर के नाम से छाया रहा चाहे अभिनय हो, संगीत बनाना हो या गाना गाना और या फिर फिल्मो का निर्देशन, लगभग फिल्मी कला के हर क्षेत्र में किशोर ने सफल प्रयोग किए। 1969 में किशोर को पहली बार स्टारडम फिल्म आराधना से मिला। इस फिल्म के गीत ‘मेरे सपनो की रानी ‘ से किशोर की आवाज पूरे देश में छा गयी। वह संगीत की अलग अलग शैलियों में प्रवीणता हासिल कर शीर्ष पर न केवल पहुंचे बल्कि वहां बने भी रहे।अनुराग समरूप ने कहा हिन्दी सिनेमा के हरफनमौला किशोर कुमार ने हर तरह के गीत दिये जो हमारी जिंदगी से कहीं न कहीं जुड़े हैं। शायद यही वजह है कि आज भी हम किशोर दा के गाये गीतों को नहीं भुला पाये है। उनके गाये गीतों की तासीर आज भी बरकारार है। किशोर दा एक साधारण गीत को भी अपनी मीठी एवं सुरीली आवाज से कर्ण प्रिय बना देते थे।संगीतमय कार्यक्रम में दिवाकर कुमार वर्मा, कुमार संभव, कुंदन तिवारी, रत्ना गांगुली, डा. नम्रता आनंद, संपन्नता वरूण, मेघाश्री अंजू, श्रेया भारती, प्रेम कुमार, प्रवीण बादल, सुबोध नंदन सिन्हा, यतीश सिन्हा, सुभाषिणी स्वरूप और आयुष सिन्हा ने किशोर कुमार के सदाबहार गीतों के माध्यम से उन्हें श्रद्धांजली अपिर्त की।कार्यक्रम के अंत में सभीकलाकारों को ग्लोबल अध्यक्ष राजीव रंजन प्रसाद ने मोमेंटो देकर सम्मानित किया।