कौशलेन्द्र पाराशर की रिपोर्ट /बिहार प्रदेश राष्ट्रीय जनता दल के प्रवक्ता श्री शक्ति सिंह यादव एवं एजाज़ अहमद ने भाजपा नेता सह केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को याद दिलाया कि 2015 में महागठबंधन ने जिस तरह से भाजपा को परास्त किया था, शायद वह भूल रहे हैं अगर उन्हें यह बात याद रहती तो वह 2024 की बात नहीं कहे होते। उन्हें भी पता है कि 2024 में वह सत्ता में वापस नहीं आने वाले हैं देश की जनता बढ़ती महंगाई, बेरोजगारी , बढ़ती गरीबी ,अदानी और अंबानी के साथ वाली यारी सहित भाजपा शासित राज्यों में महिलाओं पर हो रहे अत्याचार से तंग आ चुके हैं और देश की जनता अब बदलाव चाहती है और परिवर्तन का मन बना चुकी है ।बिहार में भाजपा को जबसे महागठबंधन सत्ता से बेदखल किया है उससे देश को एक संदेश गया है कि सभी विपक्षी दल अगर एक हो जाएं तो भाजपा को सत्ता से बेदखल किया जा सकता है, और उस दिशा में निरंतर विपक्षी दलों में देश स्तर पर एका देखने को मिल रही है जो नरेंद्र मोदी और अमित शाह के डर और बेचैनी से समझा जा सकता है।नेताओं ने कहा कि आज नवादा के हिसुआ में अमित शाह की सभा में भीड़ का नहीं जुटना यह स्पष्ट करता है कि भाजपा के आडंबर, जुमलाबाजी और भ्रम की राजनीति से लोग आजिज आ चुके हैं , बेतहाशा खर्च करके गया, नालंदा ,शेखपुरा और अन्य जिलों से लोगों को लाने के लिए लदुआ भीड़ का इस्तेमाल किया,तब भी लोगों की रुचि भाजपा की सभा में नहीं दिखी।नेताओं ने आगे कहा कि भाजपा के नेता और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के भाषण से यह स्पष्ट होता है कि वह भीड़ नहीं होने के कारण बौखलाहट और बेचैनी में जिस तरह का प्रलाप कर रहे थे उससे स्पष्ट होता है कि भाजपा को जनता और जनता के मुद्दों से मतलब नहीं है। उन्हें सिर्फ लालू प्रसाद ,नीतीश कुमार और तेजस्वी प्रसाद यादव के खिलाफ प्रलाप करने में ही रहा एक बार भी बिहार की जनता को अमित शाह जी यह नहीं बताया कि वह विशेष राज्य का दर्जा कब देने जा रहे हैं ,विशेष पैकेज और बिहार के विकास के लिए केंद्रीय योजनाओं में बिहार का हिस्सा कब देंगे। और बिहार के साथ जो सौतेलेपन का व्यवहार हो रहा है उसे समाप्त करने की दिशा में वह कौन सा कदम उठाने जा रहे हैं।नेताओं ने कहा कि बिहार में कागजी शेर के सहारे बेड़ा पार करने का जो सपना देख रहे हैं वह मुगालते में है शायद उनको पता नहीं है कि उनके पास अपना एक नेतृत्वकर्ता भी नहीं है जो दूसरे दल का सहारा लेकर के अपने पार्टी का अध्यक्ष बनाने का काम करते हैं उसपर अमित शाह इतरा रहे हैं। बिहार में वैसे लोगों को जनता हमेशा नकारती रही है जो जनता के लिए कुछ सोच नहीं रखते हो ।राजद प्रवक्ताओं ने कहा कि यह बिहार है और यहां पर उन्माद और उन्मादी तत्वों को ना पहले पनपने का मौका दिया गया है, और ना आगे मौका दिया जाएगा। और जो भी इस तरह के मामलों में लिप्त रहे हैं उनको अंतिम मुकाम तक पताल से भी ढूंढकर पहुंचाने का काम किया जाएगा। और दंगा के मामले में किसकी संलिप्तता रही है यह किसी को बताने की आवश्यकता नहीं है अगर देश में दंगाइयों पर कार्रवाई की समझ अमित शाह की बन रही है तो वह सबसे पहले केंद्रीय मंत्रिमंडल से नफरती भाषा बोलने वाले मंत्रियों को बाहर करें, जो उन्माद और धर्म आधारित भाषा बोलकर कहीं ना कहीं वातावरण को दूषित कर रहे हैं। आप की कथनी और करनी में दंगा के मामले में काफी फर्क रहा है जो गुजरात के मामले से ही समझा जा सकता है