पटना, २० नवम्बर। आध्यात्मिक संस्था अन्तर्राष्ट्रीय इस्सयोग समाज के तत्त्वावधान में सोमवार की संध्या, स्थानीय गोलारोड स्थित इस्सयोग भवन में, ‘शक्तिपात-दीक्षा’ का कार्यक्रम आयोजित किया गया। संस्था की अध्यक्ष एवं ब्रह्म-निष्ठ सद्गुरुमाता माँ विजया जी द्वारा, नव-जिज्ञासु स्त्री-पुरुषों को, ‘इस्सयोग’ की सूक्ष्म आंतरिक साधना आरंभ करने के लिए आवश्यक शक्तिपात-दीक्षा दी गई।
दीक्षा के पश्चात अपने आशीर्वचन में, माताजी ने कहा कि, जब प्रभु की कृपा होती है तो मनुष्यों के मन में आध्यात्मिक-प्रेरणा होती है। स्व-प्रेरणा से ही कोई ईश्वर की ओर उन्मुख होता है और साधना का मार्ग अपनाता है। जबतक सवयं की भावना नहीं होती तबतक लाख कहने पर भी कोई अध्यात्म के पथ पर नहीं बढ़ सकता। माताजी ने कहा कि इस्सयोग ‘मन को साधने’ की अत्यंत सहज साधना-पद्धति है, जो हर प्रकार के आडंबर से रहित और गुरुकृपा से सरलता से की जाने वाली, अद्भुत फलदायी सूक्ष्म क्रिया-योग है। इसे कोई भी सामान्य और गृहस्थ स्त्री-पुरुष सरलता से कर सकता है। इस साधना-पद्धति में किसी भी भौतिक-सामग्री की आवश्यकता नही होती। यह जानकारी देते हुए संस्था के संयुक्त सचिव डा अनिल सुलभ ने बताया कि कार्यक्रम का आरंभ, इस्सयोग की विशिष्ट शैली में किए जाने वाले अखंड भजन-संकीर्तन से किया गया। प्रसाद वितरण के साथ दीक्षा-कार्यक्रम संपन्न हुआ।इस अवसर पर संस्था के संयुक्त सचिव उमेश कुमार, सरोज गुटगुटिया, लक्ष्मी प्रसाद साहू, शिवम् झा, गायत्री प्रदीप, मंजिता अंजलि, मंजू देवी, माया साहू, मीरा सतीश चौरसिया, सुरेंद्र प्रसाद, पीयूष कुमार, राकेश कुमार तथा प्रभात चंद्र झा समेत बड़ी संख्या में संस्था के अधिकारी, स्वयंसेवक तथा साधक-गण उपस्थित थे।
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