नई दिल्ली। राष्ट्रीय गौधन महासंघ द्वारा देश में गौधन को बढ़ावा देने के लिए गोबर से लकड़ी बनाने वाली मशीन मुफ्त में देने का निर्णय लिया है। उक्त जानकारी राष्ट्रीय गौधन महासंघ के संयोजक श्री विजय खुराना ने दी। उन्होंने कहा कि गाय इस देश के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। महासंघ देश में 22 हजार गौशालाएं संचालित कर रहा है। हमारी कोशिश है कि हर गौशाला आत्मनिर्भर बने। हमारी कुछ गौशालाओं आत्मनिर्भर हैं। उनके गोबर से लकड़ी बनाई जा रही है। गौशालाओं ने 20 हजार टन लकड़ी बेची है जिसे लोग होलिका दहन, शमशान, लोहड़ी आदि पर खरीद कर ले जाते हैं।यह मशीन 70 हजार की है जिसमें केंद्र सरकार 60 फीसद और राज्य सरकार 40 फीसद अंशदान देती है। हमारा मानना है कि यदि गाय रोजगार से जुड़ेगी तो लोग इसे पालेंगे और देश का विकास होगा। इससे पांच करोड़ वृक्ष प्रतिवर्ष कटने से बच सकेंगे। उन्होंने बताया कि बुधवार को विश्व हिंदू परिषद हरियाणा, भारतीय किसान संघ हरियाणा और गौसेवा आयोग हरियाणा के अध्यक्षों की उपस्थिति में प्रो. जगदीश मुखी, पूर्व गवर्नर,असम एवं मेघालय की अध्यक्षता में एक बैठक आयोजित हुई। जिसमें हरियाणा के 6 हजार गावों व 662 गौशालाओं में केंद्र सरकार के कृषि मंत्रालय और हरियाणा सरकार द्वारा छूट पर गोकाष्ठ मशीन स्थापित करने पर निर्णय लिया गया। जिसे यह मशीन चाहिए वह इस वेबसाइट https://agriharyana.gov.in/mechschemes पर 31 दिसंबर से पहले आवेदन करें।उन्होंनें बताया कि राष्ट्रीय गौधन महासंघ के 17 वर्षों के कालखंड में गौशालाएं 9500 से 21000 हुई हैं। पूरे देश में इनकी संख्या 2006 में 9 करोड़ थी लेकिन 2022 में यह बढ़कर 21 करोड़ हो गई है।हमें गाय के महत्व को समझना होगा। सतयुग से लेकर आदि अनादि काल से संसार में गाय का सर्वाधिक महत्त्व है समुद्र मंथन से जब दिव्य तेजोमय शक्तियों का प्रदुर्भाव हुआ तो उन महत्वपूर्ण पदार्थो शक्तियों में गाय भी प्राप्त हुई जिसकी शक्ति उस समय अपरिमित थी वह सभी प्रकार के पदार्थों से युक्त थी वह एक ही बार में अनेक लोगों का पालन कर सकती थी, भोजन दे सकती थी परंतु सबसे महत्वपूर्ण यह हैं की गाय से प्राप्त सभी वस्तु देव मनुष्य दानव सबको ग्राह्य हैं। महाभारत का वाक्य है पंचगव्य प्राशन सर्व पाप नशान अर्थात गाय द्वारा प्रदत्त दुग्ध दही घृत गोमूत्र गोबर सभी विशेष मात्रा में मिलाकर लेने से अनेकों जन्मों से एकत्र अस्थियों में जमा पाप भी नष्ट करने की शक्ति पंचगव्य में हैं। यह आज भी प्रमाणित है।