भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लद्दाख क्या पहुंचे मानो जैसे चीनी सेना की हवा ही उड़ गई हो। जी हां, गलवां घाटी में चीनी सैनिकों ने अपने स्थान से पीछे हटना शुरू कर दिया है और इसी के साथ हमारी भारतीय सेना भी अपने स्थान से पीछे हट गई है।
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार 48 घंटों तक चली गहन कूटनीतिक चर्चा, सैन्य जुड़ाव और संपर्क के चलते चीनी सैनिक पीछे हटने को तैयार हुए हैं। वहीं, इन बैठकों के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लेह यात्रा भी हुई जिससे चीन को एक निर्णायक और दृढ़ संदेश गया।
भारतीय सेना से मिली जानकारी अनुसार दोनों देशों के बीच आपसी सहमति के बाद पूर्वी लद्दाख के चार प्वाइंट्स, जिनमें पेट्रोलिंग प्वाइंट 14 (गलवां घाटी), पेट्रोलिंग प्वाइंट 15, हॉट स्प्रिंग्स और फिंगर क्षेत्र से चीनी सेना पीछे हट गई है। और तो और सीमा विवाद को लेकर कोर कमांडर स्तर की बैठक में लिए गए निर्णय के अनुरूप चीनी सेना ने विवाद वाले क्षेत्र से टेंट, वाहनों और साथ ही सैनिकों को 1-2 किलोमीटर पीछे कर लिया है।
खबरों की मानें तो चीनी भारी बख्तरबंद वाहन अभी भी गलवां नदी क्षेत्र के गहराई वाले इलाके में मौजूद हैं। हालांकि, भारतीय सेना सतर्कता के साथ स्थिति की निगरानी कर रही है।
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि चीनी सैनिक पेट्रोलिंग प्वाइंट 14 से पीछे हटे हैं। यहीं पर दोनों देशों के सैनिकों के बीच झड़प भी हुई थी। बताया तो यह भी जा रहा है कि भारतीय सेना भी थोड़ा पीछे हटी है। वहीं, चीनी सैनिकों की इस स्थिति को लेकर भारतीय सेना की तरफ से अभी तक कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है।
बताते चलें कि वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर भारत के जिम्मेदार रुख और संदेश को विश्व स्तर पर मान्यता मिली हुई है। बीजिंग में भारत-चीन संबंधों के जानकारों की भी यही राय है कि वर्तमान सीमा विवाद को हल किया जाना चाहिए। सूत्रों के अनुसार भारत ने बीजिंग को एक निर्णायक संदेश दिया है कि राष्ट्रीय सुरक्षा उसके लिए सर्वोपरि है।
प्रिया की रिपोर्ट.