दिल्ली. बिहार का चुनाव खत्म होने के बाद भी सियासी पारा अभी भी हाई है. एनडीए से मिली हार के बाद महागठबंधन के सहयोगी दलों में फूट पड़ती दिखने लगी है. पहले आरजेडी के सीनियर नेता शिवानंद तिवारी ने कांग्रेस पार्टी पर हमला बोला. उन्होंने कहा कि राहुल गांधी की कार्यशैली की वजह से बीजेपी को मदद मिल रही है. अब कांग्रेस के सीनियर नेता कपिल सिब्बल ने बिहार विधानसभा चुनाव और हाल में हुए चुनावों में कांग्रेस के प्रदर्शन पर बात की है. सिब्बल ने कहा कि बिहार में जाहिर तौर पर एनडीए के बाद आरजेडी दूसरे नंबर की पार्टी थी. कांग्रेस का प्रदर्शन बहुत अच्छा नहीं कहा जा सकता, लेकिन पार्टी नेतृत्व का मानना है कि चुनाव में हार से पार्टी का काम नहीं रुकना चाहिए. मुझे उम्मीद है कि कांग्रेस बिहार में मिली हार पर आत्मनिरीक्षण करेगी.कपिल सिब्बल ने ये बयान दिया. कपिल सिब्बल ने कहा, ‘देश के लोग न केवल बिहार में, बल्कि जहां भी उपचुनाव हुए, जाहिर तौर पर कांग्रेस को एक प्रभावी विकल्प नहीं मानते. यह एक निष्कर्ष है. आखिर बिहार में एनडीए का विकल्प आरजेडी ही थी. हम गुजरात में सभी उपचुनाव हार गए. लोकसभा चुनाव में भी हमने वहां एक भी सीट नहीं जीती थी. उत्तर प्रदेश के कुछ निर्वाचन क्षेत्रों में हुए उप-चुनावों में कांग्रेस के उम्मीदवारों ने 2% से भी कम वोट हासिल किए. गुजरात में हमारे तीन उम्मीदवारों ने अपनी जमानत खो दी. हालांकि, मुझे उम्मीद है कि कांग्रेस इन सबकों लेकर आत्मनिरीक्षण करेगी.’कांग्रेस ने अब तक आत्मनिरीक्षण क्यों नहीं किया?कांग्रेस पार्टी ने छह साल तक अपने प्रदर्शन को लेकर आत्मनिरीक्षण क्यों नहीं किया? इस सवाल के जवाब में सिब्बल कहते हैं, ‘ये संगठनात्मक रूप से कांग्रेस की गलती है. हम जानते हैं कि क्या गलत है. मुझे लगता है कि हमारे पास सभी उत्तर हैं. कांग्रेस पार्टी खुद ही सारे जवाब जानती है, लेकिन वे उन उत्तरों को पहचानने के इच्छुक नहीं हैं. अगर वे उन उत्तरों को नहीं पहचानते हैं, तो ग्राफ में गिरावट जारी रहेगी. यह अफसोसजनक है कि कांग्रेस अभी भी अलर्ट नहीं हो पा रही है. हमें इसे लेकर चिंतित हैं.’कांग्रेस अपनी गलतियां पहचानने को तैयार क्यों नहीं है?इस सवाल का जवाब देते हुए कपिल सिब्बल कहते हैं, ‘ऐसा इसलिए है, क्योंकि कांग्रेस वर्किंग कमिटी एक नामित निकाय है. CWC के संविधान में भी लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं को अपनाया और अपनाया जाना चाहिए, जो कांग्रेस के संविधान के प्रावधानों में ही परिलक्षित होता है. आप नामांकित सदस्यों से यह उम्मीद नहीं करते हैं कि चुनाव के बाद चुनावों में कांग्रेस की लगातार गिरावट के कारणों के बारे में सवाल करना और उनकी चिंताओं को उठाना शुरू करें.23 वरिष्ठ नेताओं के सोनिया गांधी को चिट्ठी लिखने को लेकर क्या बोले सिब्बल?इस मामले में कोई बातचीत नहीं हुई है और नेतृत्व द्वारा बातचीत के लिए कोई प्रयास भी नहीं किया जा रहा है. चूंकि मेरे विचार व्यक्त करने के लिए कोई मंच नहीं है, इसलिए मैं उन्हें सार्वजनिक रूप से व्यक्त करने के लिए विवश हूं. मैं एक कांग्रेसी हूं और एक कांग्रेसी रहूंगा. मैं आशा और प्रार्थना करता हूं कि कांग्रेस एक शक्ति संरचना का विकल्प प्रदान करेगी, जिनके लिए राष्ट्र खड़ा है.क्या एक प्रभावी विकल्प नहीं होने के कारण कांग्रेस के लिए ये बहुत बुरी स्थिति है?सिब्बल ने कहा, ‘हां ये एक बुरी स्थिति है, वो भी लंबे समय से. हम वैसे भी बिहार में एक प्रभावी विकल्प नहीं हैं. हम 25 साल से अधिक समय से उत्तर प्रदेश में एक विकल्प नहीं हैं. ये बड़े राज्य हैं. यहां तक कि गुजरात में भी जहां हम तीसरी ताकत के अभाव में विकल्प हैं… हमने लोकसभा की सभी सीटें खो दीं और वर्तमान उपचुनावों में हम बिल्कुल भी उभरकर सामने न आ पाए. इसलिए जहां हम एक विकल्प थे, उस राज्य के लोगों ने कांग्रेस पर अपना विश्वास नहीं दोहराया. इसलिए आत्मनिरीक्षण का समय समाप्त हो गया है. हम जवाब जानते हैं. कांग्रेस को बहादुर होना चाहिए और उन जवाबों को पहचान कर स्वीकार करना चाहिए.क्या CWC के लिए एक लोकतांत्रिक चुनाव पार्टी को हो रही मुसीबतों का जवाब है?कपिल सिब्बल ने कहा, ‘हम कांग्रेसियों को यह समझना चाहिए कि हम गिरावट में हैं. जब से संचार क्रांति हुई है, चुनाव प्रक्रिया बदल गई है. कांग्रेस को खुद को खोजने की जरूरत है. हमें जवाब खोजना होगा और फिर तय करना होगा कि हमें क्या करना है. अगर हम अपनी कमियों को पहचान नहीं पा रहे हैं, तो भी चुनावी प्रक्रिया से वांछित परिणाम नहीं मिलेंगे. हममें से कुछ लोगों ने लिखकर बताया था कि कांग्रेस को आगे की राह पर क्या क्या करना चाहिए. हमारी बात सुनने के बजाय उन्होंने हम पर पलटवार किया. इसका परिणाम सभी देख रहे हैं.’विचार अलग रखना, पार्टी की खिलाफत नहीं: सिब्बलसिब्बल ने कहा, ‘हम सभी वैचारिक रूप से कांग्रेस के लिए प्रतिबद्ध हैं. हम उतने ही अच्छे कांग्रेसी हैं, जितने अन्य. कांग्रेसियों के रूप में हमारी साख पर संदेह नहीं किया जा सकता है. हमें दूसरों की साख पर शक नहीं है. विचार थोड़े अलग रखने का मतलब पार्टी की खिलाफत नहीं है. हम जो कह रहे हैं वह यह है कि हर संगठन को एक वार्तालाप की आवश्यकता है. इसका मतलब है कि दूसरों को सुनना. अगर आप दूसरों की बातें सुनना बंद कर देते हैं, तो आपकी कोई बातचीत नहीं होगी. बातचीत के अभाव में हम अपने एजेंडा को आगे बढ़ाने में सफल नहीं हो सकते.’क्या कांग्रेस नेतृत्व हमेशा की तरह एक बिजनेस की तरह रही है?सिब्बल कहते हैं, ‘मुझे नहीं पता. मैं केवल अपने बारे में बात कर रहा हूं. मैंने नेतृत्व से कुछ भी नहीं सुना है. मुझे केवल आवाजें सुनाई देती हैं जो नेतृत्व को घेरती हैं. मुझे बस इतना ही मालूम है. बिहार में हमारे हालिया प्रदर्शन और उप-चुनावों में कांग्रेस पार्टी की हार की वजहों को देखना अभी बाकी हैच. शायद उन्हें लगता है कि सब ठीक है और यह हमेशा की तरह काम चलता रहना चाहिए. लेकिन ऐसे विचार पार्टी के लिए ठीक नहीं है.क्या बिहार मुस्लिम वोट भी कांग्रेस से छूटते दिख रहे हैं?सिब्बल कहते हैं, ‘AIMIM किसी स्तर पर एक पार्टी बिगाड़ बन जाएगी. मैं अन्य पार्टियों के बारे में कोई टिप्पणी नहीं करना चाहता. इस मामले का तथ्य यह भी है कि जब हम उम्मीदवारों को चुनते हैं, तो हमें गठबंधन के सहयोगियों के परामर्श से ऐसा करना चाहिए, ताकि हम जान सकें कि किसे रखा जाए और हमारे मतों का ध्रुवीकरण न हो.
धीरेन्द्र वर्मा की रिपोर्ट.