वाराणसी: भारत समेत एशिया, यूरोप, अफ्रीका और अमेरिका में गंभीर रूप लेती कालाजार बीमारी के खिलाफ भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान काशी हिंदू विश्वविद्यालय एक आशा की किरण लेकर उभरा है. आईआईटी बीएचयू स्थित स्कूल ऑफ बायोकेमिकल इंजीनियरिंग ने कालाजार की वैक्सीन बना दी है. जिसका पहला चरण भी कामयाब हो चुका है. इस पहले चरण की सफलता के बाद उम्मीद बंधी है कि भारत के वैज्ञानिक एक बार फिर दुनिया में अपना लोहा मनवाएंगे.इस तरह काम करती है वैक्सीन.गंभीर बीमारी कालाजार जो मच्छरों से फैलता है, उसके लिए संजीवनी यानी कि वैक्सीन आईआईटी बीएचयू के वैज्ञानिकों ने खोज निकाली है. तीन सालों की मेहनत के बाद इसका वैक्सीन तैयार कर लिया है. कालाजार के खिलाफ वैक्सीन के लिए सफल परीक्षण किया गया है. यह वैक्सीन कालाजार बीमारी का प्रमुख कारक लीशमैनिया परजीवी के खिलाफ संक्रमण की प्रगति को रोक देता है. इस बीमारी के खिलाफ मनुष्य के लिए विश्व बाजार में अभी तक कोई टीका उपलब्ध नहीं है. बीमारी का उपचार मुख्य रूप से कुछ मुट्ठी भर दवाओं पर निर्भर करता है, जो डब्ल्यूएचओ के पूर्ण उन्मूलन कार्यक्रम के लिए गंभीर चिंता का विषय है. ये टीका अब संजीवनी बनकर सामने आया है.संक्रामक रोगों से लड़ने का सबसे सुरक्षित तरीका है टीकाकरण, आईआईटी बीएचयू स्थित स्कूल ऑफ बायोकेमिकल इंजीनियरिंग के प्रोफेसर विकास कुमार दूबे (कालाजार वैक्सीन प्रोजेक्ट हेड) और नेशनल पोस्टडॉक्टोरल फेलो डॉ. सुनीता यादव कहते हैं कि टीकाकरण किसी भी संक्रामक रोगों से लड़ने का सबसे सुरक्षित और प्रभावी तरीका है. वैक्सीन अणु हमारे रोग प्रतिरोधक तंत्र को रोगों से लड़ने के लिए प्रशिक्षित करता है. यह हमारे शरीर में कई प्रतिरक्षा कोशिकाओं को उत्तेजित करता है जो एंटीबॉडी, साइटोकिंस और अन्य सक्रिय अणुओं का उत्पादन करते हैं जो सामूहिक रूप से काम करते हैं और हमें संक्रमण से बचाते हैं. पूर्ण उन्मूलन में कारगर साबित होगा.उन्होंने कहा कि लीशमैनियासिस के पूर्ण उन्मूलन के लिए एक टीका बेहद कारगर होगा. उन्होंने बताया कि इस टीके की रोगनिरोधी क्षमता का मूल्यांकन चूहों के मॉडल में प्री-क्लिनिकल अध्ययनों में किया गया था, जिसमें संक्रमित चूहों की तुलना में टीकाकृत संक्रमित चूहों के यकृत और प्लीहा अंगों में परजीवी भार में उल्लेखनीय कमी देखी गई थी. टीका लगाए गए चूहों में परजीवी के बोझ को साफ करने से वैक्सीन के सफलता की संभावना प्रबल हो जाती है और ये टीका सफल रहा.ह्यूमन ट्रायल जल्द होगा शुरू.उन्होंने बताया कि पहला स्टेज पूरा हो चुका है और अब ह्यूमन ट्रायल शुरू होने वाला है. इसके बाद ये आम आदमी के लिए उपलब्ध होगा, इस टीका को विकसित करने में लगे आईआईटी बीएचयू के वैज्ञानिक बताते हैं कि ये बहुत बड़ा चैलेंज था, जो हमने पूरा किया.मच्छरों से फैलने वाली इस लाइलाज बीमारी का भारतीय वैज्ञानिकों द्वारा वैक्सीन का पहला चरण पास करना काफी उत्साहवर्धक है. जल्द ही इसे ह्यूमन ट्रायल के लिए मंजूरी मिल जाएगी. यदि ह्यूमन ट्रायल पर ये वैक्सीन कारगर साबित हुआ तो एक बार फिर दुनिया को भारत एक और वैक्सीन देगा जो कालाजार बीमारी का इलाज होगा.
सियाराम मिश्रा की रिपोर्ट.