कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद ने मंगलवार को अपने सेवानिवृत्ति के दिन सदन में अपनी बात रखी. इस दौरान आजाद ने कहा कि मैं अपने 41 साल के संसदीय जीवन में राज्यसभा, लोकसभा और जम्मू-कश्मीर की असेंबली में रहा. आजाद ने कहा कि मैं उन सौभाग्यशाली लोगों में से हूं, जो कभी पाकिस्तान नहीं गया. जब मैं पाकिस्तान में परिस्थितियों के बारे में पढ़ता हूं, तो मुझे एक हिंदुस्तानी मुस्लिम होने पर गर्व महसूस होता है.15 साल पुराना एक आतंकी हमला याद कर गुलाम नबी आजाद भावुक हो गए. उन्होंने कहा कि मेरी दुआ है कि यह आतंकवाद खत्म हो जाए. कश्मीरी पंडितों और अपने 41 साल के संसदीय जीवन को याद कर गुलाम नबी आजाद ने कहा- ‘गुजर गया वो जो छोटा सा इक फसाना था,
फूल थे, चमन था, आशियाना था,
न पूछ उजड़े नशेमन की दास्तां,
न पूछ थे चार दिन के मगर नाम आशियाना तो था .’
इसके साथ ही आजाद ने कहा कि नहीं आएगी याद तो बरसों नहीं आएगी, मगर जब याद आएगी तो बहुत याद आएगी. आजाद ने कहा कि मैं सचिवालय का भी आभारी हूं जिन्होंने सभापति के बीच समन्वय में अहम भूमिका तो अदा की ही साथ ही जरूरी जानकारियां भी हम तक पहुंचाईं.सिर्फ 5 बार चिल्ला कर रोया -आजाद.आजाद ने कहा कि मैं जिंदगी में सिर्फ 5 बार चिल्ला कर रोया. इंदिरा गांधी, संजय गांधी, राजीव गांधी की मौत पर मैं चिल्ला कर रोया. क्योंकि ये तीनों मौतें अचानक हुई थीं. चौथी बार मैं तब रोया जब सुनामी आई थी. पांचवीं बार मैं तब रोया था जब मेरे सीएम बनने के बाद आतंकी घटना हुई थी. बता दें इसी आतंकी घटना का जिक्र पीएम ने भी किया था.उन्होंने कहा कि मैं अपने बीमार पिता को जम्मू में छोड़कर ओडिशा गया. तीन रात और तीन दिन में तकरीबन 1 हजार यूथ कांग्रेस के लोगों ने पेड़ काटे. जब मैंने समुद्र में लाशें देखीं तो मैं चिल्ला कर रोया था.जम्मू और कश्मीर के पूर्व सीएम 15 साल पुरानी आतंकी घटना को याद कर भावुक हो गए. उन्होंने कहा, ‘मैं जब नवंबर 2005 में सीएम था तो दरबार कश्मीर में शिफ्ट हुआ. मई में यह हमला हुआ. उस समय आतंकी ऐसे ही स्वागत करते थे. वह यह एहसास दिलाते थे कि हां वो हैं. इस आतंकी हमले के बाद मैं जब हवाई अड्डे पहुंचा और उन बच्चों और परिजनों को देखा जो यहां घूमने आए थे, तो मुझे बहुत दुःख हुआ. मुझे लगा कि जो यहां घूमने और तफरी करने आए थे, उनके साथ क्या हो गया. उनमें से कुछ बच्चे मेरे पैर से लिपट कर रोने लगे. किसी के पिता गुजर गए थे तो किसी की मां. मेरी चीख निकल गई. मैं उन्हें कैसे जवाब देता कि जो यहां घूमने आए थे, उनके हवाले मैं उनके परिजनों की लाशें दे रहा हूं.’पीएम भी हो गए थे भावुक. राज्यसभा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी विपक्ष के नेता और कांग्रेस के वरिष्ठ सदस्य गुलाम नबी आजाद की तारीफ करते हुए भावुक हो गए. गौरतलब है कि गुलाम नबी आजाद का उच्च सदन में कार्यकाल पूर्ण हो रहा है और उन्हें आज विदाई दी गई. मोदी ने उन्हें एक बेहतरीन मित्र बताते हुए कहा ‘सदन के अगले नेता प्रतिपक्ष को आजाद द्वारा स्थापित मानकों को पूरा करने में दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा. आजाद ने अपने दल की चिंता जिस तरह की, उसी तरह उन्होंने सदन की और देश की भी चिंता की.’उन्होंने कहा कि विपक्ष के नेता के पद पर रहते हुए आजाद ने कभी दबदबा स्थापित करने का प्रयास नहीं किया. प्रधानमंत्री ने बताया कि जब वह गुजरात के मुख्यमंत्री थे तब आजाद जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री थे. उन दिनों कश्मीर में पर्यटकों पर आतंकी हमला हुआ और कुछ पर्यटक मारे गए थे. इनमें गुजरात के पर्यटक भी थे.
प्रिया की रिपोर्ट.