कौशलेन्द्र पाराशर की रिपोर्ट / विदेश मंत्री एस जयशंकर ने ब्रिटेन में रश्मि सामंत के साथ नस्लीय भेदभाव के आरोपों पर प्रतिक्रिया दी है. राज्यसभा में सोमवार को विदेश मंत्री ने यूके की संसद ने भारत में जारी किसान आंदोलन की चर्चा के तर्ज पर रश्मि का मुद्दा उठाया. जयशंकर ने कहा, ‘भारत सरकार सभी डिवेलपमेंट्स पर नजर बनाए हुए है. जब जरूरत होगी तो भारत इसे मुद्दे को मजबूती से उठाएगा.’राज्यसभा में विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा, ‘महात्मा गांधी की जमीन से होने के नाते, हम कभी नस्लवाद से आंखें नहीं चुरा सकते. खासतौर से तब जब यह किसी ऐसे देश में हो जहां हमारो लोग इतनी ज्यादा संख्या में हों. हमारे यूके साथ मजबूत रिश्ते हैं. जरूरत पड़ने पर हम पूरी स्पष्टता से ऐसे मुद्दे उठाएंगे.’बता दें कि रश्मि ऑक्सफर्ड यूनिवर्सिटी स्टूडेंट यूनियन की पहली भारतीय महिला अध्यक्ष बनकर इतिहास बना चुकी थीं, मगर उसके बाद उन्हें कुछ पुरानी टिप्पणियों के चलते इस्तीफा देना पड़ा था. सामंत ने दावा किया कि इस पूरे प्रकरण में ‘रेशियल प्रोफाइलिंग’ शामिल थी.भारत ने बयान देकर यूके को दिया संदेशदरअसल, दिल्ली की सीमाओं पर किसान प्रदर्शन कर रहे हैं. इसे लेकर ब्रिटेन की संसद में हाल ही में चर्चा हुई. कंजर्वेटिव पार्टी की थेरेसा विलियर्स ने साफ कहा कि कृषि भारत का आंतरिक मामला है और उसे लेकर किसी विदेशी संसद में चर्चा नहीं की जा सकती. हालांकि, लेबर पार्टी के सांसद तनमनजीत सिंह धेसी के नेतृत्व में 36 ब्रिटिश सांसदों ने किसान आंदोलन के समर्थन में चिट्ठी लिखकर भारत पर दबाव बनाने की बात कही थी.अब भारतीय संसद में एक यूनिवर्सिटी के विवाद पर प्रतिक्रिया दिए जाने को यूके के लिए एक संदेश की तरह देखा जा रहा है. नस्लवाद को किसी भी देश का आंतरिक मसला नहीं कहा जा सकता.