पटना से विशेष रिपोर्ट , तेजस्वी यादव के फेसबुक वॉल से -कौशलेन्द्र पाराशर /इतना असहाय, असमर्थ कभी अनुभव नहीं किया। एक इंसान होने के नाते चाहकर भी गुहार लगा रहे, मदद माँग रहे, तड़प रहे सभी ज़रूरतमंदो की मदद नहीं कर पा रहा।अस्पतालों में फोन लगवाओ तो जवाब आता है- “कुछ नहीं कर सकते सर! बेड नहीं है। इंजेक्शन नहीं है, ऑक्सीजन नहीं है। कैसे मदद करें?” बिहार के 39 जिलों में से 10 जिलों में 5 से अधिक वेंटिलेटर तक नहीं है। कितनी शर्मनाक बात है कि बिहार के ज़िला मुख्यालयों में वेंटिलेटर ऑपरेटर तक नहीं है?अधिकारियों को फोन लगवाओ तो फोन बजते रह जाता है। कोई उठाता नहीं है। अधिकारी या तो CM की भी सुन नहीं रहे या मुख्यमंत्री को व्यवस्था दुरुस्त करने में कोई रुचि ही नहीं? कोई ऐसी dedicated हेल्पलाइन नहीं है जहाँ लोग फोन कर Real Time बेड,ऑक्सीजन या दवाओं की उपलब्धता की जानकारी ले पाएँ।नागरिकों के लिए एक तरफ बेपरवाह व भ्रष्ट सरकारी व्यवस्था का अंधा कुआं है तो दूसरी तरफ काला बाज़ारी, मुनाफाखोरी और आँकड़ों की हेरा-फेरी। भ्रष्ट सरकार धृतराष्ट्र की तरह हाथ पर हाथ धरे बैठी है। लोगों को मरते छोड़ सरकार बस Headline Management व मौत के आँकड़ों को कम करने में लगी है।हमारी पार्टी और कार्यकर्ता लोगों की मदद कर रहे है लेकिन एक सीमा के बाद ऑक्सिजन नहीं मिल पाती, अस्पतालों में बेड नहीं मिल पाते। हम सीमित संसाधनों के साथ लोगों की मदद करने के लिए आगे बढ़ते हैं तो हाथ ऊपर कर चुकी सरकार और उसकी भ्रष्ट सरकारी व्यवस्था दीवार बनकर रास्ता रोक देती है।हमने सर्वदलीय बैठक में सरकार को इस महामारी से निपटने के लिए 30 सकारात्मक सुझाव दिए थे पर एक पर भी अहंकारी सरकार ने अमल नहीं किया।नीतीश सरकार की आम लोगों की तकलीफ दूर करने की कोई मंशा ही नहीं है। सरकार बस विज्ञापन देकर और आँकड़ों को कम कर धूल झोंकने के फ़िराक में है।