कौशलेन्द्र पाराशर /विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इस बात की जानकारी बुधवार को दी है. स्वास्थ्य एजेंसी का मानना है कि भारत में तेजी से बढ़ते संक्रमण के मामलों के पीछे B.1.617 वैरिएंट जिम्मेदार है. खास बात है कि भारत के अलावा ब्रिटेन में इस वैरिएंट के सबसे ज्यादा मरीज मिले हैं. भारत में बीती मार्च के बाद से ही संक्रमण के मामलों का ग्राफ तेजी से ऊपर जाने लगा था.डब्ल्युएचओ ने कहा है कि कोविड-19 का B.1.617 वैरिएंट ‘डब्ल्युएचओ के सभी 6 क्षेत्रों में 44 देशों से’ एक ओपन एक्सेस डेटाबेस में अपलोड हुए 4500 से ज्यादा सैंपल्स में पाया गया है. भारत में पहली बार यह वैरिएंट बीते अक्टूबर में मिला था. महामारी पर साप्ताहिक अपडेट में डब्ल्युएचओ ने कहा ‘WHO को 5 अतिरिक्त देशों में भी मामलों की रिपोर्ट्स मिली हैं.’ इस हफ्ते की शुरुआत में संस्था ने इस वैरिएंट को ‘वैरिएंट ऑफ कंसर्न’ बताया था. ब्रिटेन, ब्राजील और दक्षिण अफ्रीका में मिले कोविड-19 के अन्य वैरिएंट्स का नाम शामिल था. इन वैरिएंट्स वास्तविक रूप से ज्यादा खतरनाक माना गया था. क्योंकि वे या तो तेजी से फैल सकते हैं या वैक्सीन सुरक्षा से बचकर निकलने में सक्षम हैं. डब्ल्युएचओ ने बुधवार को बताया कि B.1.617 को सूची में इसलिए जोड़ा गया था, क्योंकि यह वास्तविक वायरस से ज्यादा संक्रामक नजर आ रहा था. इस दौरान संस्था ने अलग-अलग देशों में तेजी से बढ़ रहे मामलों पर जोर दिया.130 करोड़ से ज्यादा आबादी वाला भारत कोरोना वायरस महामारी से विश्व का दूसरा सर्वाधिक प्रभावित देश है. पहले स्थान पर अमेरिका का नाम आता है. भारत में बीते कई हफ्तों से प्रतिदिन 3 लाख से ज्यादा मामले सामने आ रहे हैं. वहीं, प्रतिदिन करीब 4 हजार लोगों की जान जा रही है. वायरस की दूसरी लहर ने राजधानी दिल्ली और आर्थिक राजधानी कही जाने वाली मुंबई जैसे बड़े शहरों पर भी जकड़ मजबूत बना ली है. डब्ल्युएचओ ने कहा है कि अब तक भारत में मिले पॉजिटिव केस का 0.1 फीसदी ही जेनेटिकली सीक्वेंस्ड किया गया.