कौशलेन्द्र पाराशर की रिपोर्ट .सीईओ अदार पूनावाला ने ट्वीट कर यूरोपीय संघ की यात्रा को लेकर तकनीकी दिक्कतों का सामना कर रहे भारतीयों को आश्वस्त किया है जल्द ही समस्या का समाधान किया जाएगा. पूनावाला की यह टिप्पणी यूरोपीय संघ की नई ‘वैक्सीन पासपोर्ट’ योजना के बाद आई है जिसमें एस्ट्राजेनेका-ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी वैक्सीन के भारत-निर्मित संस्करण को मान्यता नहीं दी गई है. पूनावाला ने कहा कि उन्होंने इस मामले को नियामक संस्थाओं और राजनयिक लोगों के सामने उठाया. आशा है कि जल्द ही यह मामला सुलझा लिया जाएगा.पूनावाला ने लिखा, ‘मुझे एहसास है कि बहुत से भारतीय जिन्होंने कोविशील्ड का टीका लगवाया है उन्हें यूरोपीय संघ की यात्रा के लिए समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है. मैं सभी को विश्वास दिलाता हूं, मैंने इस मुद्दे को बड़े स्तर पर उठाया गया है. जल्द ही नियामकों और राजनयिक स्तर पर इसे हल किया जाएगा.कोविशील्ड वैक्सीन का विकास ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी-एस्ट्राजेनेका ने किया है और इसे पुणे स्थित वैक्सीन विनिर्माता द्वारा भारत में बनाया जा रहा है. यूरोपीय संघ (ईयू) ने अब तक एस्ट्राजेनेका, ऑक्सफोर्ड द्वारा विकसित वैक्सजेवरिया को ही मान्यता दी है. यूरोपीय चिकित्सा एजेंसी द्वारा अनुमोदित अन्य टीके बायोएनटेक-फाइजर, मॉडर्ना और जेनसेन (जॉनसन एंड जॉनसन) हैं.एक जुलाई से यूरोपीय संघ ने ‘महामारी के दौरान यूरोपीय संघ में नागरिकों की सुरक्षित (और) मुक्त आवाजाही की सुविधा’ के लिए एक ‘डिजिटल कोविड सर्टिफिकेट’ की योजना बनाई है. ‘सर्टिफिकेट’ इस बात के सबूत के रूप में है कि शख्स को या तो टीका लगाया गया है, या उसका कोविड टेस्ट नेगेटिव आया है या फिर वह इंफेक्शन से उबर गया है. यूरोपीय संघ के बाहर के यात्रियों के इन सर्टिफिकेट्स में से कोई एक होना ही चाहिए. इस सर्टिफिकेट को संघ के सदस्य देशों की स्वीकार्यता मिली होगी जिससे इस क्षेत्र में पाबंदी रहित आवाजाही की अनुमति मिलेगी. यूरोपीय संघ के मौजूदा नियमों के तहत जिन भारतीयों को कोविशील्ड का टीका लगाया गया है उन्हें मुक्त आवाजाही की अनुमति नहीं दी जाएगी.