जितेन्द्र कुमार सिन्हा, पटना (नयी दिल्ली), 20 जुलाई ::जीकेसी (कला संस्कृति प्रकोष्ठ) के सौजन्य से महाकवि-गीतकार गोपाल दास नीरज की पुण्यतिथि के अवसर पर वर्चुअल कार्यक्रम “काव्यांजलि” का आयोजन किया गया, जिसमें देश भर के लोगों ने सहभागिता की और एक से बढ़कर एक प्रस्तुति दी, जिससे लोग मंत्रमुग्ध हो गये।राष्ट्रीय प्रभारी (जीकेसी कला- संस्कृति प्रकोष्ठ) दीपक कुमार वर्मा ने बताया कि कवि-गीतकार गोपाल दास नीरज की पुण्यतिथि 19 जुलाई के अवसर पर वर्चुअल कार्यक्रम “काव्यांजलि” का आयोजन किया गया। कार्यक्रम को राष्ट्रीय महासचिव पवन सक्सेना और राष्ट्रीय सचिव श्वेता सुमन ने होस्ट किया।कार्यक्रम के सफल संचालन में डिजिटल-तकनीकी प्रकोष्ठ के ग्लोबल अध्यक्ष आनंद सिन्हा, ग्लोबल महासचिव और उत्कर्ष आनंद ने महत्वपूर्ण भूमिका निभायी।उक्त अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में गोपाल दास नीरज के पुत्र अरस्तु प्रभाकर और शशांक प्रभाकर मौजूद थे, जिन्होंने अपने पिता से जुड़े संस्मरण को लोगों के बीच साझा किया।अरस्तु प्रभाकर ने अपने पिता के फिल्मी जीवन को साझा करते हुये कहा कि उनके लिखे गीत कारंवा गुजर गया की धूम पूरे देश में हुई थी और आज भी जीवंत है। एक समय उन्हें सुप्रसिद्ध अभिनेता-फिल्मकार देवानंद ने मुंबई मिलने के लिये बुलाया था। इस दौरान वहाँ मौजूद महान संगीतकार सचिन देव बर्मन (एस.डी.बर्मन) ने एक धुन सुनायी और उसपर उनसे गीत लिखने को कहा। जबकि गीत पहले लिखे जाते हैं और धुन बाद में तैयार की जाती है। उन्होंने इसे चुनौती के रूप में लिया और इस धुन को गीत “रंगीला रे” के रूप में पियो कर इसे एस.डी.बर्मन को सुनाया। गीत सुनकर एस.डी.बर्मन की आँखे नम हो गयी और उन्होंने पिता जी को गले लगा लिया। इस गीत का उपयोग देवानंद की मशहूर फिल्म प्रेम पुजारी के लिये किया गया। गाना सुपरहिट हुआ और बिनाका गीतमाला में स्वर्णिम गीतों में शुमार किया गया। यही से पिता जी और एस.डी बर्मन की जोड़ी बनी। उनकी यह जोड़ी तकरीबन सभी फिल्मों के लिये गीत लिखने में रही। उन्होंने बताया कि एस.डी.बर्मन के अलावा संगीतकार जोड़ी शंकर-जयशकिशन की फिल्मों के लिये भी श्री उन्होंने कई सुपरहिट गीत लिखे।नीरज जी के कनिष्ठ पुत्र शशांक प्रभाकर (जो स्वयं भी राष्ट्रीय स्तर के कवि है) ने पिता की यादों को साझा किया और कहा कि मै उनके साथ सत्रह साल की उम्र से ही कवि सम्मेलनों में जाया करते थे और छोटी-छोटी लेकिन महत्वपूर्ण बातें मुझे सिखाया करते थे। उन्होंने पिता से सम्बंधित अन्य बहुत-सी रोचक बातें भी साझा की।उक्त अवसर पर जीकेसी के ग्लोबल अध्यक्ष राजीव रंजन प्रसाद ने कहा कि भारतीय साहित्य-संस्कृति को नीरज जी ने समृद्ध बनाने का काम किया, जिसके लिए समाज और राष्ट्र उनका सदैव ऋणी है। सही अर्थों में नीरज जी एक ऐसे व्यक्ति का नाम है, जिन्होंने अपने गीतों के माध्यम से जीवन के संघर्ष को बयां किया है। उन्होंने कई कालजयी गीतों की रचना भी की, जिसकी तासीर आज भी बरकारार है। पद्मभूषण से सम्मानित साहित्यकार गीतकार, लेखक-कवि गोपाल दास नीरज भले ही हमसे दूर चले गए हैं पर वह अपने पीछे अपनी अनमोल यादों को छोड़ गए है। नीरज गीतों के राजकुमार और छंदों के बादशाह माने जाते थे और उनके गीतों से मनुष्य को जीने की प्रेरणा मिलती थी।जीकेसी की प्रबंध न्यासी रागिनी रंजन ने कहा कि गोपालदास नीरज ने हिंदी साहित्य को हर जनमानस तक पहुंचाने का काम किया। उनके गीतों में प्रेम और विरह की वेदना थी। उनके लिखे गीत आज भी लोगों की जुबां पर है। नीरज जी ने अपनी लेखनी से साहित्य जगत, फिल्म जगत और काव्य मंचों पर अपनी विशिष्ठ पहचान बनायी। वह अपनी कविता और गीतों के जरिये हमेशा लोगों के दिलों में जिंदा हैं।जीकेसी (कला-संस्कृति प्रकोष्ठ) के राष्ट्रीय अध्यक्ष देव कुमार लाल ने कहा कि गोपालदास नीरज जी एक श्रेष्ठ कवि साहित्यकार शायर के साथ-साथ एक महान गीतकार भी थे। नीरज जी ने जो भी गाने लिखे थे उन्हें विश्वभर में पहचान मिली।उनके लिखे गीतों में से यह गीत “लिखे जो खत तुझे”, “ए भाई जरा देखकर चलो”, “आज मदहोश हुआ जाए रे मन” जैसे अनेकों गीत आज भी बरकरार है।पवन सक्सेना ने कहा कि नीरज जी ने अपने जीवन में आए उतार-चढ़ाव को सहजता से स्वीकार किया और खट्टे-मीठे अनुभव को दिल की गहराइयों में सहेज कर रखा जिसे उन्होंने गीतों में पिरोया और यही वजह भी रही कि उनके गीतों में जीवन से जुड़े हर पहलू की झलक स्पष्ट है। नीरज जी लिखते हैं -“खिलते है गुल यहां खिल के बिखरने को” तो वहीं नीरज जी ये भी लिखते हैं – “रंगीला रे तेरे रंग में यूं रंगा है मेरा मन” और फिर यही मन मौजी कवि लिख बैठता है -“धीरे से जाना बगियन में ओ खटमल धीरे से” काव्य की धारा से सराबोर इस महान संत के समक्ष शब्द भी नतमस्तक हो जाते हैं।श्वेता सुमन ने स्वरचित पंक्तियों एवं उनके गीत द्वारा नीरज जी को श्रद्धांजलि दी “नीरज” अजर अमर साहित्य का सूरज नीरज जनमानस के अंतर्मन में पहुंचाए भावों का रस नीरज ,शब्द कमल की पंखुड़ियों से खिलता जाए मिलता जाय एक भी गीत कभी कविता में दीपक के लौ से जलता जाए “नीरज” और कहा कि ऐसी बहुमुखी प्रतिभा ईश्वर की अलौकिक देन है जिनका जन्म किसी अवतार से कम नही होता, जो समाज और दुनिया को, परिवार को, नई पीढ़ी के लिए विरासत में, बहुत कुछ छोड़ जाते हैं, जिनको संजोना हमारा दायित्व है और हम पूरी जिम्मेदारी से इसका निर्वहन करने का प्रयास कर रहे हैं।कार्यक्रम के दौरान कला- संस्कृति प्रकोष्ठ की राष्ट्रीय कार्यवाहक अध्यक्ष श्रुति सिन्हा ने एंकात नाम है कविता सुनायी। इसके अलावा मनीष श्रीवास्तव बादल, दीपक वर्मा, बॉलीवुड पार्श्वगायिका प्रिया मल्लिक, सुप्रसिद्ध गीतकार सावेरी वर्मा, आलोक अविरल, समीर परिमल, , नीना मंदिलवार, नीरव समदर्शी, नीलम ब्रहमचारी, कुमार संभव, शिवानी गौर, सुभाषिणी स्वरूप, अचला श्रीवास्तव, अमाल श्रीवास्तव ने शानदार काव्य प्रस्तुति से लोगों को मंत्रमुग्ध कर दिया।कार्यक्रम के अंत में धन्यवाद ज्ञापन दीपक कुमार वर्मा ने दिया।